पटना, 14 अक्टूबर 2025 —
बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित होने के बाद राज्य की सियासी हलचल तेज़ हो गई है। सत्तारूढ़ एनडीए (NDA) जहां सीट बंटवारे और उम्मीदवारों की सूची को अंतिम रूप देने में आगे निकल चुका है, वहीं विपक्षी महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर जबरदस्त घमासान मचा हुआ है।
राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने बिना अंतिम सहमति के उम्मीदवारों को सिंबल देना शुरू कर दिया है, जिससे कांग्रेस समेत अन्य सहयोगी दलों में नाराजगी है। कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह कम से कम 60 सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जबकि RJD 50-55 सीटों से अधिक देने को तैयार नहीं।
महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव राघोपुर से नामांकन दाखिल करने की तैयारी में हैं, लेकिन गठबंधन की नींव हिलती नजर आ रही है। सोमवार को तेजस्वी ने दिल्ली जाकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी से फोन पर बातचीत की, लेकिन आमने-सामने की मुलाकात नहीं हो सकी। लौटते ही RJD ने कई सीटों पर टिकट वितरण शुरू कर दिया।
परबत्ता से डॉ. संजीव कुमार, मटिहानी से बोगो सिंह, हथुआ से राजेश कुशवाहा, मनेर से भाई वीरेंद्र, साहेबपुर कमाल से ललन यादव और संदेश से दीपू यादव को RJD का सिंबल मिल चुका है। हालांकि, सोशल मीडिया पर सिंबल वायरल होने पर तेजस्वी ने नाराजगी जताई।
महागठबंधन में सबसे बड़ा पेंच कांग्रेस की सीट मांग को लेकर है। 2020 में कांग्रेस ने 70 सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ 19 सीटें जीत पाई थी। खराब प्रदर्शन के बावजूद इस बार भी वह 60 सीटों की मांग पर अड़ी है। RJD नेतृत्व को डर है कि इतनी बड़ी हिस्सेदारी गठबंधन की समग्र रणनीति को नुकसान पहुंचा सकती है।
विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के नेता मुकेश सहनी को 18 से 20 सीटें चाहिए, लेकिन RJD चाहती है कि इनमें से कुछ पर RJD के उम्मीदवार VIP के सिंबल पर लड़ें — जिस पर सहनी तैयार नहीं हैं।
वामपंथी दल — CPI, CPI(M) और CPI(ML) — 75 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि RJD 19 से ज्यादा देने के मूड में नहीं है।
गठबंधन की कमजोर कड़ियाँ: सीटें जहां टकराव है
- कहलगांव (भागलपुर): कांग्रेस की पारंपरिक सीट रही है, लेकिन तेजस्वी यहां RJD का उम्मीदवार उतारना चाहते हैं।
- बछवारा (बेगूसराय): कांग्रेस शिवप्रकाश गरीब दास को टिकट देना चाहती है, जबकि CPI और RJD का गठबंधन इस सीट को वामपंथियों को देना चाहता है।
- नरकटियागंज: RJD यहां से दीपक यादव को टिकट देना चाहती है, जबकि यह सीट पहले कांग्रेस के पास थी।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सीट बंटवारे को लेकर जल्द कोई सहमति नहीं बनी, तो महागठबंधन को सीटों पर साझा उम्मीदवार खड़ा करने से पहले ही अंदरूनी नुकसान झेलना पड़ सकता है। खासकर तब जब भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए मोर्चा पहले ही अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर चुका है।
RJD प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने दावा किया है कि “बिहार में जल्द ही राजनीतिक खेला होगा,” लेकिन अंदरखाने खींचतान ने गठबंधन की एकता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
तेजस्वी यादव और लालू प्रसाद यादव के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे किस तरह सभी सहयोगियों को संतुलन में रखते हुए सीट बंटवारे की गाड़ी को पटरी पर लाएं।
क्या कांग्रेस 60 सीटों पर लड़ेगी? क्या VIP और वामपंथी दल अपनी मांगों में कटौती करेंगे? या फिर सीटों की लड़ाई में ही महागठबंधन का चुनावी नैरेटिव कमजोर पड़ जाएगा?
फिलहाल सबकी नजरें कांग्रेस की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक पर टिकी हैं, जहां आज अंतिम निर्णय लिया जा सकता है। लेकिन एक बात स्पष्ट है — यदि महागठबंधन जल्द एकजुट नहीं हुआ, तो यह NDA के लिए बड़ा चुनावी फायदा बन सकता है।