उत्तराखण्ड में ग्रामीण अवसंरचना के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ने राज्य सरकार को ₹9,281.56 लाख (₹93 करोड़) की परियोजनाओं को स्वीकृति दी है। यह सहायता ग्रामीण अवसंरचना विकास निधि (RIDF) के अंतर्गत दी गई है।
नाबार्ड द्वारा स्वीकृत परियोजनाओं में शिक्षा क्षेत्र को विशेष प्राथमिकता दी गई है। बागेश्वर जिले में राजीव गांधी नवोदय विद्यालय और चमोली जिले के सिल्पाटा में राजकीय इंटर कॉलेज (GIC) के निर्माण के लिए कुल ₹4,460.36 लाख की राशि स्वीकृत की गई है। इन संस्थानों के निर्माण से पर्वतीय क्षेत्रों में विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, आधुनिक सुविधाएं और सुरक्षित वातावरण उपलब्ध होगा। राज्य सरकार का मानना है कि इससे ग्रामीण युवाओं को अच्छी शिक्षा की सुविधा उनके निकटस्थ क्षेत्र में ही मिलेगी, जिससे पलायन की समस्या को कम करने में मदद मिलेगी।
नाबार्ड द्वारा स्वीकृत दूसरी बड़ी परियोजना में ₹4,821.20 लाख की लागत से सितारगंज (ऊधमसिंहनगर) में आधुनिक डेयरी उत्पाद संयंत्र स्थापित किया जाएगा। इसमें शामिल हैं:
- 10 MT क्षमता का मिल्क पाउडर संयंत्र
- 5,000 लीटर प्रति दिन की आइसक्रीम इकाई
- 2 MT क्षमता का बेकरी यूनिट
यह संयंत्र उत्तराखण्ड की डेयरी प्रसंस्करण क्षमता को बढ़ाएगा तथा राज्य को बाहर से मिल्क पाउडर मंगवाने की आवश्यकता से मुक्ति मिलेगी। इसके अलावा, परिवहन और लोडिंग/अनलोडिंग का खर्च भी कम होगा।
परियोजना का संचालन ‘बिल्ड-ऑपरेट-ट्रांसफर (BOT)’ मॉडल पर होगा, जिसमें निर्माण की ज़िम्मेदारी डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड की होगी, जबकि संचालन निजी भागीदार करेगा। इन योजनाओं से स्थानीय किसानों और दुग्ध उत्पादकों को सीधा लाभ मिलेगा। उन्हें बेहतर मूल्य, नया बाज़ार और आधुनिक प्रसंस्करण सुविधाएं प्राप्त होंगी। साथ ही, युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी पैदा होंगे।
सरकारी प्रवक्ता ने कहा, “नाबार्ड की यह पहल उत्तराखण्ड में ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों के समावेशी विकास की दिशा में मील का पत्थर साबित होगी। इससे न केवल शिक्षा और डेयरी क्षेत्र में सुधार होगा, बल्कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति में भी उल्लेखनीय सुधार देखने को मिलेगा।”