“जब ज़मीन हिली और पहाड़ टूट पड़ा, हम बस दौड़ते रहे…” — ये शब्द हैं सगवाड़ा गांव के उस परिवार के, जिनका घर बुधवार रात भूस्खलन की चपेट में आ गया। उत्तराखंड के चमोली जिले के थराली क्षेत्र में लगातार हो रही बारिश के बीच यह एक और भयावह घटना सामने आई, जिसमें एक मकान मलबे में दबकर क्षतिग्रस्त हो गया। सौभाग्य से, घर में रह रहे सभी लोग समय रहते बाहर निकलकर अपनी जान बचाने में कामयाब रहे।
रात भर पानी बरसता रहा और मिट्टी सरकती रही। ग्रामीणों ने बताया कि कुछ देर और हो जाती तो बड़ा हादसा हो सकता था। गांव के आसपास की पहाड़ियों में गहरी दरारें आ चुकी हैं, और हर छोटी बारिश के बाद लोग अपने घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर रात गुजारने को मजबूर हैं। सिर्फ गांव ही नहीं, थराली-देवाल मोटर मार्ग भी अब सुरक्षित नहीं रह गया है। केदारबगड़ के पास एक गधेरे में उफान और मलबा आने से सड़क बह गई है। इससे राड़ीबगड़ समेत कई गांवों का संपर्क पूरी तरह टूट गया है। लोक निर्माण विभाग द्वारा जेसीबी की मदद से मार्ग को खोलने का कार्य जारी है।
यही इलाका कुछ ही दिन पहले, 23 अगस्त को, भूस्खलन की चपेट में आया था। उस त्रासदी में एक युवती की जान चली गई थी और एक व्यक्ति अब भी लापता है। कई दिन तक रेस्क्यू ऑपरेशन चला था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी मौके पर पहुंचकर स्थिति की समीक्षा की थी।
लगातार आपदाओं से भयभीत ग्रामीणों ने प्रशासन से अपील की है कि उन्हें अस्थायी राहत से आगे बढ़कर अब स्थायी पुनर्वास की सुविधा दी जाए। पहाड़ी क्षेत्र की नाजुक स्थिति को देखते हुए विशेषज्ञों की टीम भेजने की मांग भी उठ रही है।