सिलक्यारा टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए जुटी टीम को बीते 22 नवंबर की रात से शुक्रवार की सांय तक लगातार लोहे के जाल, गर्डर , सरिया से दो चार होना पड़ रहा है। शुक्रवार को भी पूरा दिन इन्हीं कठिनाइयों से जूझने में बीता। इन बाधाओं को हटाने के लिए टेक्नीशियन दिन रात मेहनत कर रास्ता बनाने में जुटे है। .इस दौरान लोहे के जाल व अन्य अवरोध को काटने में मशीन व पाइप भी टूटे।लगभग 47 मीटर तक पा इप पहुंच चुका है। और मौके पर गयी मौजूद टीम ने लगभग 6 मीटर तक किसी भी लोहे के अवरोध की संभावना से इनकार किया है। साफ है कि 6 मीटर तक पाइप डालने में कोई विशेष कठिनाई सामने नहीं आएगी। शुक्रवार को हुई प्रेस में अधिकारियों ने बारम्बार आ रहे लोहे के विभिन्न अवरोधों के प्रिंट आउट भी दिखाए। इस दौरान सुरंग के अंदर की गई मरम्मत आदि कार्यों के वीडियो भी बनाये गए हैं।
बीती रात से आगर मशीन के कमजोर हुए प्लेटफार्म को ठीक कर लिया गया । बीते 12 नवंबर की सुबह से फंसे मजदूर लगभग 70 मीटर की दूरी पर बताए जा रहे हैं। इधर, सिलक्यारा टनल रेस्क्यू ऑपरेशन के संबंध में शुक्रवार को अस्थाई मीडिया सेंटर, सिलक्यारा में प्रेस ब्रीफिंग की गई। यही नहीं, दिल्ली में भी परज वार्ता कर वस्तुस्थिति की जानकारी दी गयी।
इस दौरान अपर सचिव (सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार) एवं एम.डी (एनएचआईडीसीएल ) महमूद अहमद ने बताया कि ऑगर मशीन से 45 मीटर के बाद ड्रिलिंग शुरू करते हुए कुल 1.8 तक ड्रिलिंग पूरी कर ली गई थी। इस प्रकार कुल 46.8 से आगे की ड्रिलिंग के बाद धातु के टुकड़े मशीन में फसने से ड्रिलिंग रोक दी गई थी।
इसके बाद श्रमिकों द्वारा पाइप के मुहाने पर फंसे धातु के टुकड़ों को पाइप के अंदर रेंगकर काट दिया गया है। गत दिवस पुनः ऑगर मशीन स्थापित कर ड्रिलिंग शुरु करते हुए 1.2 मीटर अतिरिक्त ड्रिलिंग की गई थी। इस प्रकार कुल 48 मीटर तक ड्रिलिंग की थी।
अपर सचिव (सड़क परिवहन राजमार्ग मंत्रालय, भारत सरकार) एवं एम.डी (एनएचआईडीसीएल ) महमूद अहमद ने बताया कि पाइप के आख़िरी सिरे पर फंसे धातु के टुकड़ों से पाइप क्षतिग्रस्त हुआ है। जिसके बाद क्षतिग्रस्त 1.2 मीटर पाइप को काटकर बाहर निकाला गया। उन्होंने बताया कि अब तक कुल 46.8 मीटर पाइप को पुश किया गया है। आगे की ड्रिलिंग पूरी सावधानी के साथ शुरू की जायेगी। इस दौरान सचिव, उत्तराखंड शासन डॉ. नीरज खैरवाल, महानिदेशक सूचना बंशीधर तिवारी मौजूद रहे।