आसीएसई-आइएससी परिणाम में अंग्रेजी इस बार भी छात्रों पर भारी पड़ी। अन्य विषय में बेहतर अंक पाने वाले छात्र अंग्रेजी में पिछड़ गए। इसका असर उनके ओवरआल रिजल्ट पर भी पड़ा है। प्रदेश में शीर्ष स्थान हासिल करने वाले धुरंधर छात्रों का ही उदाहरण लीजिए।
यूं तो कई विषयों में उन्होंने अंकों का सैकड़ा लगाया, पर अंग्रेजी में उनका प्रदर्शन तुलनात्मक रूप से कमजोर रहा। वैसे तो अंग्रेजी महज एक भाषा है और विज्ञान व गणित जैसी जटिल भी नहीं, मगर अंग्रेजी को इसी तरह आसान मानने की भूल अधिकतर छात्र कर बैठते हैं और पूरा ध्यान अन्य विषयों पर लगा देते हैं।
दून के धुरंधरों के सिर सजते-सजते रह गया सर्वश्रेष्ठ का ताज
विगत वर्षों में ऐसा कई बार हुआ कि इसी चूक के कारण सर्वश्रेष्ठ का ताज दून के धुरंधरों के सिर सजते-सजते रह गया। दरअसल बोर्ड एग्जाम में अमूमन छात्र अंग्रेजी को इतनी गंभीरता से नहीं लेते। अधिकतर छात्र इसे ‘टेक इट ग्रांटेड’ विषय के तौर पर लेते हैं।
खासकर प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों का ध्यान गणित व विज्ञान जैसे चुनिंदा विषयों पर ही होता है। इस सोच और अप्रोच का नतीजा बुरा होता है। अंग्रेजी अनिवार्य विषय है और इसमें गलतियों के कारण न सिर्फ अंग्रेजी के पेपर में कम नंबर मिलते हैं, बल्कि अंतिम नतीजों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। यह असर इस बार भी दिखाई दिया।
अन्य अंकों के शतकवीर अंग्रेजी में चूक गए। दरअसल दसवीं में टाप पांच व बारहवीं में टाप चार का प्रतिशत निकाला जाता है। गणित, भौतिकी, कम्प्यूटर साइंस समेत तमाम हैं। मुश्किल विषयों कई छात्रों ने 100 में से 100 नंबर हासिल किए हैं। कई छात्र ऐसे भी हैं जिनके दो से तीन विषयों में 100 नंबर हैं। लेकिन इस सैकड़े पर अंग्रेजी भारी पड़ी। वह अंग्रेजी ही है जिसने अंकों की गणित बिगाड़ी है।