चारधाम की यात्रा आस्था के साथ संस्कृति और संस्कारों की यात्रा भी है। हर बार इस यात्रा में संस्कृति और संस्कारों के रंग देखने को मिलते हैं।
ऋषिकेश से चारधाम के लिए तीर्थ यात्रियों का रवाना हुआ तो बुजुर्गों की सेवा के संस्कार का रंग देखने को मिला। चारधाम की यात्रा पर आए मध्य प्रदेश निवासी 86 वर्षीय सियाराम अर्जारिया के साथ 15 वर्षीय पोता सहारा बनकर आया है।
बुजुर्ग तीर्थ यात्रियों के लिए चढ़ाई बिना साथी के पूरी कर पाना असंभव
चारधाम में खास तौर पर केदारनाथ और यमुनोत्री धाम की यात्रा सबसे अधिक चुनौतीपूर्ण है। क्योंकि, केदारनाथ में 16 किमी और यमुनोत्री में पांच किमी की कठिन चढ़ाई पैदल पार करनी होती है। बुजुर्ग तीर्थ यात्रियों के लिए यह चढ़ाई बिना साथी के पूरी कर पाना संभव नहीं होता।
पोते ने दादा को चारधाम यात्रा कराने का निर्णय लिया
मध्यप्रदेश के पन्ना जिले में देवरी गांव निवासी 86 वर्षीय सियाराम अर्जारिया ने जब अपने तीन पुत्रों के समक्ष चारधाम यात्रा पर जाने का प्रस्ताव रखा तो वह इस बारे में सोचकर चिंता में डूब गए। ऐसे में सियाराम के 15 वर्षीय पोते शौर्य ने उन्हें चारधाम की यात्रा कराने का निर्णय लिया। शौर्य ने बताया कि उनके पिता प्राइवेट बैंक में मैनेजर हैं। जबकि, एक चाचा वन क्षेत्राधिकारी हैं और दूसरे माइनिंग का कार्य करते हैं।
दादा को मथुरा-वृंदावन की तीर्थयात्रा करा चुके हैं शौर्य
ऐसे में पिता और दोनों चाचा भी यात्रा पर आने में असमर्थ थे। दादी का स्वास्थ्य खराब रहता है, इसलिए वह यात्रा नहीं कर सकतीं। लिहाजा, वह स्वजन से अनुमति लेकर दादा को यात्रा कराने लाए हैं। इससे पूर्व शौर्य अपने दादा को मथुरा-वृंदावन की तीर्थयात्रा करा चुके हैं। शौर्य ने हाल में ही 10वीं की परीक्षा दी है। इन दिनों स्कूल की छुट्टियां हैं।
पैदल तय करेंगे यमुनोत्री की छह,केदारनाथ की 16 किमी की यात्रा
पोते की सेवा से सियाराम बेहद प्रभावित हैं। वह कहते हैं कि हमारे संस्कार ही हमारी असली विरासत हैं। पोते और परिवार के अन्य सदस्यों से मिलने वाले प्रेम के चलते ही वह इस उम्र में भी स्वस्थ हैं। सियाराम का कहना है कि वह यमुनोत्री की छह किमी और केदारनाथ की 16 किमी की यात्रा पैदल तय करेंगे। दादा-पोते की इस जोड़ी को यात्रा करवा रहे टूर एंड ट्रेवल्स संचालक पंकज शर्मा ने बताया कि चारधाम यात्रा में इस तरह के सहयात्री कम ही देखने को मिलते हैं।