राऊत ने कहा, ‘मुलायम सिंह यादव देश के बड़े नेता थे, रक्षामंत्री थे, 3 बार मुख्यमंत्री रहे, समाजवादी आंदोलन के बड़े नेता रहे लेकिन उनके साथ हमारे मतभेद रहे। जब अयोध्या का आंदोलन चल रहा था तो उन्होंने कारसेवकों पर गोलियां चलाने का आदेश दिया था। उन्होंने कहा था कि और कारसेवकों को गोली मारनी होती तो भी पीछी नहीं हटता और बाबरी मस्जिद की रक्षा करता। उसके बाद बीजेपी, बजरंग दल, VHP सभी ने मुलायम सिंह के ऊपर मुकदमा दायर करने की मांग भी की थी। हिंदुओं का हत्यारा तक कहने से नहीं चूके थे।’
‘वीर सावरकर को भारत रत्न क्यों नहीं दिया’
राऊत ने परोक्ष रूप से मुलायम को पद्मविभूषण दिए जाने पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘आज उनकी ही सरकार ने उन्हें पद्मविभूषण से गौरवान्वित किया है, और मैं उस पर कुछ नहीं कहूंगा। लेकिन यदि आप मुलायम का गौरव करते है तो फिर वीर सावरकर को भारत रत्न क्यों नहीं दिया। आप बालासाहेब ठाकरे को आप भूल गए, जिन्होंने अयोध्या के आंदोलन में बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। कारसेवकों पर गोली चलाने वाले को सम्मान दिया लेकिन आंदोलन को ऊर्जा देने वाले बालासाहेब ठाकरे को आप भूल गए।’
योगी के सवाल पर बचते दिखे संजय राउत
राउत ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर भी निशाना साधते हुए कहा, ‘महाराष्ट्र में जो लोग (शिंदे) खुद को बालासाहेब ठाकरी के विचारधारा के मालिक मानते हैं, और सरकार में हैं, वे कहां गए। उनकी जिम्मेदारी है। विधानसभा में चित्र लगाकर अपने आपको बालासाहेब ठाकरे का वारिस नहीं मान सकते हैं।’ वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘सनातन भारत का राष्ट्रीय धर्म है’ वाले बयान पर सवाल से राऊत बचते दिखे। उन्होंने कहा, ‘ठीक है न, यह आप जाकर उनसे पूछिये, मैं क्यू बोलूं यहां बैठकर।’