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सारा के तहत हजारों की संख्या में पारंपरिक जल स्रोतों को किया चिन्हित

देहरादून। सारा के तहत हजारों की संख्या में पारंपरिक जल स्रोतों को चिन्हित किया गया है, जिन्हें पुनर्जीवित करने के लिए बड़ी धनराशि की आवश्यकता होगी। हालांकि राज्य सरकार ने खुद के वित्तीय संसाधनों से जलस्रोतों के पुनरोद्धार की शुरुआत कर दी है।प्रदेश की धामी सरकार राज्य के पर्वतीय क्षेत्रों में परंपरागत जलस्रोतों को पुनर्जीवित करने और सूख चुके झरनों को नया जीवन देने के लिए केंद्रीय बजट में विशेष अनुदान की उम्मीद कर रहा है। इसके लिए सरकार ने स्प्रिंग शेड एंड रिवर रिजुवेनेशन प्राधिकरण (सारा) का गठन किया है।

राज्य में जल संरक्षण के अभियान को जमीन पर उतारने के लिए सारा को केंद्र के वित्तीय सहारे की दरकार है।एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश होने की संभावना जताई जा रही है। बता दें कि सारा के तहत हजारों की संख्या में पारंपरिक जल स्रोतों को चिन्हित किया गया है, जिन्हें पुनर्जीवित करने के लिए बड़ी धनराशि की आवश्यकता होगी। हालांकि राज्य सरकार ने खुद के वित्तीय संसाधनों से जलस्रोतों के पुनरोद्धार की शुरुआत कर दी है। लेकिन सीमित वित्तीय संसाधन होने की वजह से सभी जल स्रोतों और झरनों, नालों और खालों को नया जीवन देने के लिए ज्यादा धनराशि चाहिए।यही वजह है कि बजट तैयारी के लिए पिछले दिनों केंद्रीय वित्त वित्त निर्मला सीतारमण ने जो बैठक बुलाई थी, वहां राज्य सरकार ने सारा के लिए विशेष केंद्रीय सहायता देने का अनुरोध किया था। अब इसे लेकर राज्य की निगाह केंद्रीय बजट पर रहेगी। गांवों और शहरों में हर घर में पीने का पानी पहुंचाने के लिए शुरू हुई जल जीवन मिशन की डेडलाइन 31 मार्च को समाप्त हो रही है। राज्य में जलजीवन मिशन के तहत अभी कई योजनाओं के प्रस्ताव गतिमान हैं।

ऐसे में राज्य जल जीवन मिशन की समयसीमा को बढ़ाना चाहता है।राज्य सरकार जल जीवन मिशन योजना के तहत पंपिंग योजनाओं के रखरखाव व संचालन के लिए केंद्रीय सहायता चाहता है। राज्य में ग्रेविटी स्कीमों की तुलना में पंपिंग स्कीमों पर निर्भरता बढ़ गई है, लेकिन इससे योजना के सुचारू संचालन के लिए अधिक खर्च बढ़ गया है। यह खर्च राज्य को वहन करना पड़ रहा है। इसलिए राज्य सरकार चाहती है कि पीएमजीएसवाई के अनुरूप ही जल जीवन मिशन योजना के अनुरक्षण व संचालन को भी केंद्र पोषित योजना से आच्छादित किया जाए। प्रदेश के तराई व मैदानी क्षेत्रों में भू जलस्तर में क्षरण की गंभीर समस्या बन रही है।

इस समस्या से निपटने के लिए 2500 करोड़ रुपये की सौंग बांध परियोजना पर काम हो रहा है। योजना को स्कीम फॉर स्पेशल असिस्टेंस फॉर कैपिटल इन्वेस्टमेंट के तहत वित्तीय मंजूरी मिली है। लेकिन योजना के तहत परियोजना के लिए सीमित आवंटन होना है। सरकार का तर्क है कि उसके पास सीमित आर्थिक संसाधन हैं। भू जलस्तर में आ रही गिरावट की गंभीर समस्या को देखते हुए परियोजना का समय पर पूरा होना जरूरी है। इसलिए राज्य सरकार इसे केंद्र पोषित योजना में शामिल कराने का अनुरोध कर चुकी है। राज्य की ओर से बजट पूर्व बैठक में प्रस्तुतिकरण दिया जा चुका है। जल संरक्षण राज्य सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है। हमने जल संरक्षण की दिशा में जो प्रयास किए हैं, उसमें हम केंद्रीय वित्तीय सहयोग की अपेक्षा कर रहे हैं।

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