उत्तराखंड में बिजली की दरें बढ़ा दी गई हैं। जिसे लेकर अब राजनीतिक पार्टियों में वार-पलटवार का दौर शुरू हो गया है।
भाजपा के प्रदेश मीडिया प्रभारी मनवीर सिंह चौहान ने कहा कि प्रदेश सरकार उपभोक्ताओं के हितों को लेकर सचेत है। अन्य राज्यों की अपेक्षा उत्तराखंड में बिजली सस्ती है और प्रतिवर्ष होने वाली दरों में बढ़ोतरी भी काफी कम है। उन्होंने कहा कि इस बार राज्य में बिजली की दरों में 6.92 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जो गत वर्ष की तुलना में कम है। पिछले वर्ष विद्युत दरों में 9.64 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई थी।
चौहान ने इस मामले कांग्रेस के बयान को हास्यास्पद बताते हुए कहा कि प्रतिवर्ष विद्युत दरों में संशोधन होता है और यह कोई नई परंपरा नहीं है। कोरोना काल में भी विद्युत या अन्य वसूली में भी सरकार ने समय सीमा में जनता को राहत दी थी। सरकार ने आमजन की परवाह करते हुए ही विद्युत दरों मे कम वृद्धि की है। वहीं उत्तराखंड सस्ती और निर्बाध बिजली अपने निवासियों तथा औद्योगिक क्षेत्र को मुहैया कर रहा है।
भ्रम फैलाने का प्रयास कर रही कांग्रेस : नवीन
भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता नवीन ठाकुर ने दून में हुई आगजनी की घटना के आलोक में कांग्रेस पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया है। प्रदेश भाजपा मुख्यालय में मीडिया से अनौपचारिक बातचीत में उन्होंने कहा कि आगजनी की घटना राष्ट्रपति के हालिया देहरादून दौरे के बाद हुई थी। कांग्रेस इसे राष्ट्रपति के दौरे से जोड़कर सरकार की छवि को खराब करने का प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास आज कोई मुद्दा नहीं है। इसीलिए कांग्रेस झूठ और भ्रम से जनता में भय का माहौल पैदा कर राजनीतिक रोटियां सेकने के प्रयास में लगी रहती है।
विद्युत दरें बढ़ाकर जनता को फिर ठगा गया: कांग्रेस
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने राज्य सरकार से बढ़ाई गई विद्युत दरों को वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि विद्युत दरों को बढ़ाकर प्रदेश की भाजपा सरकार ने जनता को एक बार फिर ठगने का काम किया है। लगभग आठ वर्षों में कई बार विद्युत दरें बढ़ाई गई हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने एक बयान में कहा कि कोरोना महामारी की मार से अभी तक प्रदेशवासियों के आजीविका और रोजगार की व्यवस्था उबर नहीं पाई है। ऐसे में सरकार प्रत्येक क्षेत्र में महंगाई बढ़ाने का काम कर रही है। आमजन के पानी और बिजली के बिल कम करने के बजाय भाजपा सरकार उन्हें बढ़ाकर घावों पर नमक छिड़कने का कार्य कर रही है।
राज्य में कई जलविद्युत परियोजनाएं संचालित हैं और कई निर्माणाधीन हैं। राज्यवासियों को घरेलू उपभोग के लिए कम दर पर बिजली आपूर्ति, उनका अधिकार है। किसानों को खेती के लिए निश्शुल्क बिजली दी जानी चाहिए। उन्होंने विद्युत परियोजनाओं की लाइन बिछाने के लिए भूमि दी है। इस भूमि का उन्हें मुआवजा भी नहीं दिया जाता है।
माहरा ने कहा कि सरकार विद्युत उपभोक्ताओं से पहले ही मीटर चार्ज के रूप में कई वर्षों तक किराया वसूल करती है। विद्युत मीटर की कीमत मात्र कुछ ही समय में पूरी हो जाती है। जमानत के रूप में कनेक्शन लेते समय मोटी रकम वसूल की जाती है। उन्होंने दो वर्ष बाद उपभोक्ताओं से फिक्स चार्ज व मीटर किराया की वसूली नहीं करने की मांग की।