निजी भूमि पर खड़े पड़ों को काटने के बाद वन विभाग की ओर से केस दर्ज कराया जाता है। केस की सुनवाई सिविल जज की कोर्ट में होती है। कानून में संशोधन के बाद ऐसे मामलों की सुनवाई प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) स्तर पर हो सकेगी। आरोपी के संतुष्ट न होने पर वन संरक्षक स्तर पर अपील कर सकता है।
उत्तर प्रदेश वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 में संशोधन करने से निजी भूमि से पेड़ काटने पर अब जेल नहीं होगी। एक्ट में किए गए संशोधन को लागू करने के लिए सरकार अध्यादेश लाएगी। भराड़ीसैंण में बीते दिनों हुई धामी मंत्रिमंडल की बैठक में यूपी वृक्ष संरक्षण अधिनियम 1976 में संशोधन के बाद प्रदेश में इसे लागू करने के लिए सरकार अध्यादेश लाएगी।
अध्यादेश लागू होने के साथ नया कानून प्रदेश में लागू हो जाएगा। कानून के लागू होने के बाद निजी भूमि पर खड़े पेड़ों को काटना आसान हो जाएगा। नए कानून में निजी भूमि पर खड़े पेड़ों को काटने की प्रक्रिया को आसान बनाया गया है। बिना अनुमति पेड़ काटने पर जेल भेजने के प्रावधान को खत्म कर दिया गया है, लेकिन जुर्माना राशि बढ़ा दी गई है। निजी या सार्वजनिक भूमि पर खड़े सूचीबद्ध किसी भी पेड़ को काटने पर पहली बार पांच हजार प्रति पेड़ जुर्मामा लगेगा।दूसरी या तीसरी बार में जुर्माना की राशि 10 हजार से एक लाख तक हो जाएगी। पहले निजी भूमि पर खड़े एक या एक से अधिक पेड़ काटने पर पांच हजार जुर्माना और छह माह की जेल या दोनों का प्रावधान था। अब आरोपी को जेल भेजने का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। संशोधित एक्ट में काटे गए गए पेड़ों के सापेक्ष दो गुने पेड़ लगाने का भी प्रावधान किया गया है।