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ऋषिकेश में 6 किमी का रोपवे बनेगा, 21 मिनट में होगा डेढ़ घंटे का सफर, पर कितना मुश्किल है यह खास प्रोजेक्ट?

धर्मनगरी ऋषिकेश प्रशासनिक द़ष्टि से एक नगर निगम है और यहां की आबादी भले ही कम हो, लेकिन साल भर यहां आने वाले श्रदालुओं और पर्यटकों की पॉपुलेशन को एड कर लिया जाए, तो ये आबादी कई कई गुना बढ़ जाती है. नतीजा टूरिस्ट सीजन में ऋषिकेश की व्यवस्थाएं सिरे से पटरी से उतर जाती हैं. इस दबाव को कम करने के लिए सरकार अब आईएसबीटी से त्रिवेणी घाट और त्रिवेणी घाट से नीलकंठ महादेव और पार्वती मंदिर तक छह किलोमीटर लंबा रोपवे बनाने जा रही है. ये रोपवे 36 किलोमीटर की इस दूरी को छह किलोमीटर में बदल देगा.

ऋषिकेश के विधायक एवं सरकार में शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल कहते हैं कि पर्यटकों, श्रदालुओं की बड़ी संख्या हर रोज त्रिवेणी घाट, नीलकंठ महादेव मंदिर के दर्शन को जाती है. पार्किंग के अभाव में जाम और तमाम समस्याओं के कारण लोगों को डेढ़ से दो घंटे का समय लग जाता है. रोपवे बनने से 36 किगे. घाट से नीलकंठ महादेव मंदिर की दूरी 8 किलोमीटर है.

कैसे आसान हो जाएगा घंटों का सफर?
इस रोप वे का निर्माण पीलोमीटर की यह दूरी 21 मिनट में तय हो जाएगी. आईएसबीटी से त्रिवेणी घाट की दूरी 28 किलेामीटर है और टूरिस्ट सीधे रोपवे से घाट पहुंच सकें पीपी मोड में उत्तराखंड मेट्रो कॉरपोरेशन करेगा. मेट्रो कॉरपोरेशन के एमडी जितेंद्र त्यागी का कहना है कि रोपवे के लिए चार स्टेशन बनेंगे. आईएसबीटी, त्रिवेणी घाट, नीलकंठ और पार्वती मंदिर. अगले तीस सालों को टारगेट करते हुए बनाए जा रहे इस रोपवे की कुछ खास बातें पाॅइंट्स में देखिए.

– एक घंटे में एक साइट में एक हजार लोग जा सकेंगे.
– इस प्रोजेक्ट पर अनुमानित 455 करोड़ का खर्चा आएगा.
– 6 किलोमीटर लंबे इस रोपवे के लिए 36 टावर लगाए जाएंगे.

लेकिन रोपवे की राह में फंसे हैं पेंच!
मेट्रो यह प्रस्ताव शासन को भेज चुका है. जहां वित्त विभाग की मंजूरी के बाद इसे जल्द ही कैबिनेट में लाया जाएगा. त्यागी का कहना है कि पर्यटन विकास की दृष्टि से भी ये प्रोजेक्ट फायदेमंद साबित होगा. लेकिन, सब कुछ इतना आसान भी नहीं है. दरअसल 36 में से 12 टावर राजाजी नेशनल पार्क के भीतर लगेंगे. इसके लिए पार्क की करीब 1300 वर्ग मीटर भूमि एक्वायर की जाएगी, जो टेढ़ी खीर होगा.

गौरतलब यह भी है कि केदारनाथ और हेमकुंड साहिब रोपवे जैसे प्रधानमंत्री के महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट इसी तरह पार्क एरिया में पड़ने के कारण लटके पड़े हैं. इन प्रोजेक्टों में वाइल्डलाइफ एक्ट आड़े आ रहा है. राजाजी नेशनल पार्क के टाइगर रिजर्व होने के कारण वाइल्ड लाइफ एक्ट के साथ ही एनटीसीए समेत तमाम बॉडीज़ की एनओसी लेने के बाद ही रोपवे का रास्ता साफ हो सकेगा.

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