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अपनी विशिष्ट खाद्य संस्कृति के लिए जाना जाता है उत्तराखण्ड : राज्यपाल

देहरादून। राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) से सोमवार को राजभवन में भारतीय पाककला महासंघ (इंडियन फेडरेशन ऑफ क्यूलिनरी एसोसिएशन) के पदाधिकारियों ने शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान महासंघ के प्रतिनिधियों ने राज्यपाल को भारतीय पाककला को वैश्विक स्तर तक पहुँचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की विस्तृत जानकारी दी। राज्यपाल ने महासंघ के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड के पारंपरिक व्यंजन और श्री अन्न न केवल पौष्टिक हैं, बल्कि इनमें विशिष्ट सांस्कृतिक एवं स्वास्थ्यवर्धक गुण भी हैं।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि इन पारंपरिक व्यंजनों को देश-विदेश में लोकप्रिय बनाने के लिए विशेष प्रयास किए जाने चाहिए। उन्होंने राज्य की समृद्ध पाक परंपराओं और फूड टूरिज्म को बढ़ावा देने की संभावनाओं पर बल दिया। राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड अपनी विशिष्ट खाद्य संस्कृति के लिए जाना जाता है, जो गढ़वाल और कुमाऊँ की पारंपरिक विरासत से गहराई से जुड़ी हुई है। राज्यपाल ने श्री अन्न जैसे- मंडुआ, भट्ट आदि के साथ-साथ पिस्यूं लूण (पारंपरिक सेंधा नमक) जैसे स्थानीय खाद्य तत्वों को उत्तराखण्ड की प्राचीन खान-पान परंपराओं का प्रतीक बताते हुए कहा कि इन पारंपरिक व्यंजनों को राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की आवश्यकता है।

राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखण्ड के आतिथ्य और पाक क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए प्रशिक्षित कार्यबल का विकास आवश्यक है। उन्होंने शेफ प्रशिक्षण कार्यक्रमों, पाक कार्यशालाओं और कौशल विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। इस अवसर पर महासंघ के अध्यक्ष मनजीत गिल, महासचिव विजय भास्करन सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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