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गोल्डन कार्डधारक कर्मचारियों को दी जाय ओपीडी/ जांच की कैशलैस सुविधा

 

देहरादून। गुरुवार राज्य कर्मचारी परिषद के अध्यक्ष अरुण पांडे व महामंत्री शांति प्रसाद भट्ट ने राज्य स्वास्थ प्राधिकरण के अध्यक्ष अरविन्द सिंह ह्यांकी से उनके कार्यालय में मुलाकात कर उन्हें गोल्डन कार्ड से सम्बन्धित मांगपत्र सौंपते हुए उम्मीद जताई कि जल्द ही उनके कुशल नेतृत्व में उक्त मांगों का निराकरण संभव हो पाएगा । कर्मचारी नेताओं ने ह्यांकि को अध्यक्ष पद पर नियुक्ति की शुभकामनाएं भी दीं।

इस बारे में जानकारी देते हुए परिषद के प्रान्तीय प्रवक्ता आर पी जोशी ने बताया कि लंबे समय से गोल्डन कार्ड से सम्बन्धित मांगों पर कई दौर की वार्ता के उपरांत कार्यवृत्त जारी होने के उपरांत भी यथोचित कार्यवाही नहीं होने एवं समीक्षा हेतु पुनः बैठक न होने से प्रदेश के समस्त राज्य कार्मिकों एवं पेंशनर में निराशा व्याप्त है जिसके क्रम में प्राधिकरण के अध्यक्ष से परिषद की यह अपेक्षा है कि जल्द ही उक्त मांगों का निराकरण सुनिश्चित कराते हुए ठोसर कार्यवाही अमल में लाई जाएगी ।

परिषद द्वारा निम्नांकित मांगों को राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण के अध्यक्ष के समक्ष रखा गया है:
1. शासनादेश में की गई व्यवस्थानुसार विभिन्न दवा दुकानों एवं पैथोलाजी लैब के पंजीकरण होने तक पंजीकृत एवं राजकीय चिकित्सालयों में ओपीडी को कैशलेश करते हुए आवश्यक दवाएं एवं जांच की सुविधा कैशलेश उपलब्ध कराई जाए ।

2. चिकित्सा प्रतिपूर्ति के लिए प्रस्तुत प्रस्तावों के निस्तारण हेतु समय सीमा निर्धारित करते हुए कार्यालय स्तर पर 5 दिन, स्वास्थ विभाग के स्तर पर 15 दिन, प्राधिकरण स्तर पर 10 दिन करते हुए अधिकतम 30 दिन निर्धारित की जाए ।

3. चिकित्सा प्रतिपूर्ति के प्रस्तावों के प्रतिहस्ताक्षर के सम्बन्ध में स्वास्थ विभाग के कार्य़ालयों में भी आनलाइन कम्पयूटरीकृत व्यवस्था सुनिश्चित की जाए ।

4. एक दिन के अन्तःरोगी को भी कैशलेश इलाज की सुविधा दी जाए ।

5. प्राधिकरण स्तर पर पंजीकृत चिकित्सालयों की सूची का प्रकाशन किया जाए, शिकायत प्रकोष्ठ हेतु Whatsapp एवं टोल फ्री नं जारी किये जाए, योजनान्तर्गत पंजीकृत चिकित्सालयों में योजना के पटल से सम्बन्धित प्राधिकारी की दूरभाष संख्या प्रकाशित एवं कार्मिक संगठनो से संवाद हेतु समय समय पर बैठकों का आयोजन किया जाए ।

 

6. परिषद के संज्ञान में आया है कि योजनान्तर्गत पंजीकृत विभिन्न चिकित्सालयों के भुगतान लंबित होने के कारण उनके द्वारा सेवा उपलब्ध कराने में की जा रही आनाकानी को दूर किया जाए ।
परिषद द्वारा यह भी मांग की गई कि उपरोक्त वर्णित बिन्दुओं पर कार्यवाही हेतु समस्त सम्बन्धित पक्षों (पंजीकृत चिकित्सालयों के प्रतिनिधियों सहित) की एक बैठक परिषद के साथ आयोजित कराई जाए ।

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