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सेवानिवृत्त होने के बाद अपने पैतृक गांव में रहना चाहते थे विपिन रावत, सपना अधूरा रह गया,

जनरल बिपिन रावत, पत्नी मधुलिका रावत समेत 13 लोगों की मंगलवार को सेना के हेलिकॉप्टर क्रैश में जान चल गई। जनरल रावत का गंभीर हालत में इलाज चल रहा था, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका। इस हादसे के चलते उत्तराखंड में सीडीएस रावत के गांव का माहौल बेहद गमगीन हो गया, वहीं परिवार के सदस्यों का बुरा हाल है।

पौड़ी गढ़वाल सैण बमरौली गांव के रहने वाले थे सीडीएस बिपिन रावत

सीडीएस बिपिन रावत उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में गांव सैण बमरौली ग्रामसभा के रहने वाले है। देहरादून में जनरल बिपिन रावत का घर भी बन रहा है। वे थलसेना के प्रमुख रहे। रिटायरमेंट से एक दिन पहले ही उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया गया था। वहीं, इनके पिता लक्ष्मण सिंह रावत सेना से लेफ्टिनेंट जनरल के पद से सेवानिवृत्त हुए थे।

रिटायरमेंट के बाद गांव में रहना चाहते थे जनरल रावत

सीडीएस बिपिन रावत रिटायरमेंट के बाद गांव में रहना चाहते थे। साल 2019 में जनरल बिपिन रावत ने इच्छा जताई थी कि वह रिटायरमेंट के बाद अपने पैतृक गांव में ही रहेंगे। लेकिन उनका यह सपना अधूरा ही रह गया। 2019 में उन्हें ननिहाल आने का मौका मिला था। उन्होंने गांव के छोटे-बड़े बच्चों और बुजुर्गों से मुलाकात कर रिटायरमेंट के बाद थाती गांव में ही रहने की बात कही थी। उनके ममेरे भाई ने उन्हें नाना, नानी, मां व उनकी एक पुरानी फोटो भेंट की इसे देखकर रावत काफी खुश हुए थे।

बता दें कि जनरल रावत साल 1999 में पाकिस्तान के साथ हुए करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। इसमें भारत को जीत मिली थी। इसके अलावा उनके नेतृत्व में सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर कई आतंकियों को ढेर किया था। उन्हें वीरता और विशिष्ट सेवा के लिए अनेकों सम्मान मिले, वे देश के थलसेना के प्रमुख रहे। रिटायरमेंट से एक दिन पहले ही उन्हें देश का पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बनाया गया था। वे अपनी नई जिम्मेदारी को भी बहादुरी से निभा रहे थे और कई आयामों को पार करते जा रहे थे, लेकिन दुखद दुर्घटना में हमने उन्हें खो दिया। पूरा देश आज ग़मगीन हो गया। देश के इस वीर सपूत को नमन।

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