आरक्षण बिल को लेकर प्रस्तावित एक दिन के विशेष सत्र में शून्य काल और प्रश्नकाल होने से कांग्रेस को भी संजीवनी मिली है। कांग्रेस देवस्थानम अधिनियम के साथ ही अन्य मुद्दों पर सरकार से जवाब मांगने की कोशिश करेगी। सात जनवरी को आयोजित विशेष सत्र के लिए कांग्रेस ने होम वर्क शुरू कर दिया है। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस सत्र मे लाए जाने वाले आरक्षण विधेयक का खुलकर विरोध करने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में प्रश्नकाल और शून्यकाल में पार्टी अपना दम दिखाएगी। कांग्रेस की निगाह देवस्थानम अधिनियम पर अधिक है।
इस मामले को लेकर आंदोलनरत पुरोहितों का कांग्रेस वैसे भी खुलकर समर्थन कर रही है। इसी मामले को अब सदन में भी उठाने की तैयारी है। इसके साथ ही शून्य काल में कांग्रेस प्रदेश से जुड़े महंगाई और रोजगार के मुद्दों को भी उठाने की तैयारी कर रही है। सिर्फ एक दिन का सत्र होने के कारण कांग्रेस की कोशिश है कि ट्रेजरी बेंच को असहज करने वाले मुद्दों को उठाया जाए।
इससे पहले कांग्रेस मान रही थी कि एक दिन के सत्र में प्रश्नकाल और शून्यकाल नहीं होगा। ऐसे में कांग्रेस ने प्रश्नकाल और शून्यकाल आयोजित कराने का सरकार पर दबाव बनाने का फैसला किया था। अब प्रश्नकाल और शून्यकाल होने से कांग्रेस ने भी राहत की सांस ली है।
एक दिन के सत्र में कांग्रेस की पूरी कोशिश होगी कि जनहित के मुद्दों को अधिक से अधिक उठाया जाए। कई ऐसे मामले हैं जिन पर सरकार को जवाब देना ही चाहिए। कांग्रेस शून्य काल और प्रश्नकाल का अधिकतम उपयोग करेगी। जहां तक आरक्षण बिल का सवाल है कांग्रेस विधानमंडल दल की बैठक में इस पर रुख तय किया जाएगा।