कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए प्रदेश सरकार को सोशल डिस्टेंसिंग के लिए लोगों को मनाने के साथ ही अन्य कई चुनौतियों से पार पाने की कोशिश करनी होगी। कुछ मामलों में सरकार चेती भी है लेकिन कई मामलों में अभी सरकारी मशीनरी का गियर अप होना बाकी है।
मानव विकास रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में करीब 50 प्रतिशत मामले तो बुखार, सर्दी, खांसी, जुखाम, सांस की तकलीफ आदि के हैं। यह वर्ग संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील भी है। मुसीबत ये भी है कि मौसम में बदलाव के कारण कई सुरक्षित स्थान अब संवेदनशील होते जा रहे हैं। प्रदेश में चंपावत और टिहरी दो ऐसे जिले हैं जो सबसे अधिक संवेदनशील पाए गए हैं। प्रदेश सरकार ने भी घनसाली और ऋषिकेश को सबसे अधिक संवेदनशील माना है और यह दोनों ही क्षेत्र टिहरी जिले में हैं।
एक बड़ी चुनौती फ्लोटिंग जनसंख्या भी है। देहरादून और हल्द्वानी में आसपास के क्षेत्रों से पहुंचने वाले लोगों की खासी संख्या है। उत्तर प्रदेश, हिमाचल के साथ ही उत्तराखंड की सीमा नेपाल और चीन से भी जुड़ी हुई है। नेपाल सीमा पर निगरानी बढ़ाने के लिए प्रदेश सरकार केंद्र से अधिक फोर्स मांग ही चुकी है।