



केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के बजट से प्रदेश के कर्मचारियों को खासी उम्मीदें हैं। वे आयकर की सीमा में वाजिब छूट चाहते हैं। तकरीबन सभी कर्मचारियों की एक सुर में मांग है कि आयकर की अधिकतम सीमा को पांच लाख से बढ़ाकर 10 लाख रुपये कर दिया जाए। आम बजट से पहले अमर उजाला ने कर्मचारियों की आशाओं को टटोला तो सबकी जुबान पर टैक्स में छूट की ही चाहत थी। पढ़िए, किस कर्मचारी नेता ने क्या कहा?केंद्र सरकार के बजट से कर्मचारियों को बहुत आशाएं हैं। हमारी नजर आयकर की सीमा पर लगी है। हम चाहते हैं कि सरकार आय कर की सीमा को पांच लाख से बढ़ाकर 10 लाख तक करे। बचत की सीमा को कम से कम पांच लाख तक करते हुए इसे आयकर से मुक्त रखा जाए। कार्मिकों को मिलने वाले भत्तों पर आयकर नहीं लगाया जाए। जीपीएफ की ब्याज दर में वृद्धि, कर्मचारियों को डीडीओ के प्रमाण पत्र के आधार पर बिना किसी अन्य गारंटी के लोन की सुविधा प्रदान की जाए। – अरुण पांडेय, प्रदेश कार्यकारी महामंत्री, उत्तराखंड कर्मचारी संयुक्त परिषद
पिछले एक दशक के दौरान कर्मचारियों के वेतन में इजाफा हुआ है, लेकिन उसी अनुपात में वस्तुओं के दाम बढ़े हैं। महंगाई लगातार बढ़ रही है। इसकी मार से कर्मचारी भी अछूते नहीं है। आयकर की अधिकतम सीमा बढ़ाये जाने से कर्मचारियों को एक बड़ी राहत मिल सकती है। एक मध्यम वर्ग के कर्मचारी की जेब से करीब 60 से 70 हजार रुपये टैक्स में चले जाते हैं। इसलिए केंद्र आयकर की अधिकतम सीमा को 10 से 12 लाख के मध्य करे। आयकर की सीमा के बाहर पहला स्लैब पांच प्रतिशत का हो। – नवीन कांडपाल, प्रदेश मुख्य संयोजक अधिकारी कर्मचारी समन्वय मंचकर्मचारी केंद्र सरकार से आयकर की अधिकतम सीमा में दोगुनी बढ़ोत्तरी की उम्मीद कर रहा है। यदि ऐसा होता है तो यह कर्मचारी समुदाय के लिए एक बड़ी राहत होगी। वर्तमान में जिनकी वार्षिक आय 2.50 लाख से पांच लाख रुपये है, उन पर पांच प्रतिशत आयकर लागू है। पांच लाख रुपये से एक रुपये भी अधिक होने पर आयकर का स्लैब 20 प्रतिशत है, जो बहुत अधिक है। यह अव्यवहारिक है, इसे व्यवहारिक बनाने के लिए केंद्र सरकार को आयकर की सीमा को 10 लाख रुपये तक करने के साथ पहला स्लैब पांच प्रतिशत का रखना चाहिए। – हीरा सिंह बसेड़ा, अनुसचिव, राज्य सचिवालय
आम बजट को लेकर हमारी एक ही उत्सुकता रहेगी कि सरकार ने आयकर की अधिकतम सीमा में इजाफा किया है कि नहीं। आयकर की मौजूदा सीमा से कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं हो रहा है। महंगाई के दौर में वे बहुत ज्यादा बचत भी नहीं कर पा रहे हैं। हजारों रुपये टैक्स में चले जाते हैं। इसलिए केंद्र सरकार को आयकर सीमा को बढ़ाने के साथ यह भी विचार करना है कि उन्हें मिलने वाले भत्तों को इससे बाहर रखा जाए। – दीपक जोशी, अध्यक्ष, उत्तराखंड सचिवालय संघ