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यूकेएसएसएससी पेपर लीक मामले नकल माफिया गैंग पर्दाफाश , एसटीएफ को बड़ी कामयाबी मिली

उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) पेपर लीक मामले में  एसटीएफ ने नकल माफिया गैंग की अहम कड़ी को गिरफ्तार किया है। शासकीय इंटरमीडिएट कॉलेज नेटवाड,मोरी जनपद उत्तरकाशी में शिक्षक तनुज शर्मा निवासी रायपुर को पकड़ा, जिसके बाद उसने पुलिस हिरासत में कई राज खोले।

नकल माफिया गैंग का पर्दाफाश करते हुए एसटीएफ को बड़ी कामयाबी मिली है। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) के पेपर लीक मामले में एसटीएफ अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। एसटीएफ एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि उत्तराखंड नकल माफियाओं के तार उत्तर प्रदेश के शातिर लोगो से जुड़े हैं। अंतरराज्यीय नकल माफिया का पर्दाफाश होगा। कहा कि नकल गैंग की पूरी नकेल जल्दी होगी। उत्तरप्रदेश के कुछ जिलों में टीमें  रवाना की जा रही है।

इससे पहले शुक्रवार को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) के पेपर लीक मामले में एसटीएफ ने सचिवालय के एक और अपर निजी सचिव को गिरफ्तार कर किया था। आरोप है कि न्याय विभाग में कार्यरत अपर निजी सचिव ने दो अभ्यर्थियों को पेपर उपलब्ध कराया था। इसके एवज में अभ्यर्थियों से 18-18 लाख रुपये में सौदा किया था।
एसटीएफ इस मामले में अब तक 17 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। शुक्रवार को एसटीएफ ने सचिवालय के न्याय विभाग में कार्यरत सहायक अपर निजी सचिव सूर्य प्रताप सिंह निवासी जसपुर, ऊधमसिंह नगर को गिरफ्तार कर लिया। एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि आरोपी से गहन पूछताछ और पुख्ता साक्ष्यों के आधार पर यह बात सामने आई कि पूर्व में गिरफ्तार किए गए मनोज जोशी, अपर निजी सचिव गौरव चौहान और तुषार चौहान के माध्यम से सूर्य प्रताप सिंह ने दो अभ्यर्थियों को पेपर उपलब्ध कराया था।

इसके एवज में अभ्यर्थियों से 18-18 लाख रुपये का सौदा तय किया गया था। इसमें तीन-तीन लाख रुपये परीक्षा से पूर्व और 15-15 लाख रुपये परीक्षा के बाद देना तय हुआ था। यह लेनदेन जसपुर स्थित आवास पर हुआ था। उन्होंने बताया कि पूछताछ, उपलब्ध साक्ष्य व इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों के आधार पर आरोपी की गिरफ्तारी की गई है। उसे न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया गया है।उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने स्नातक स्तरीय परीक्षा गत वर्ष दिसंबर में कराई थी। इसके बाद से ही लगातार इसमें धांधली की बात सामने आ रही थी। बीती 22 जुलाई को मुख्यमंत्री के निर्देश पर रायपुर थाने में मुकदमा दर्ज किया गया। तब इसकी जांच एसटीएफ को सौंपी गई। इसके बाद से ही एसटीएफ कड़ियां जोड़कर पूरे मामले की जांच में जुटी है।

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