onwin giriş
Home उत्तराखंड

15 फरवरी से 15 जून तक का वक्त वन विभाग के लिए खासा चुनौती भरा

15 फरवरी से 15 जून तक का वक्त वन विभाग के लिए खासा चुनौती भरा रहता है। पारे में लगातार बढ़ोतरी होने की वजह से जंगल में आग का दायरा बढऩे लगता है। बीते चार महीने में उतराखंड में 3416.2 हेक्टेयर जंगल आग की चपेट में आया था।

पिछले साल से तुलना करने पर स्थिति कुछ हद तक ठीक नजर आती है। 2021 में आग की घटनाओं में 3943 हेक्टेयर जंगल जला था। वहीं, वन विभाग का कहना है कि मानसून आने के बाद ही फायर सीजन को खत्म माना जाएगा। जबकि इससे पूर्व यह अवधि 15 जून तक ही मानी जाती थी।

इस साल फायर सीजन का शुरुआती डेढ़ महीना वन विभाग के लिए ज्यादा चिंताजनक नहीं था। लेकिन अप्रैल की शुरूआत से स्थिति नियंत्रण से बाहर होती गई। हालांकि, वन विभाग 90 प्रतिशत से अधिक आग की घटनाओं की वजह इंसानी दखल को मानता है।

सिर्फ अप्रैल के महीने में 2702 हेक्टेयर जंगल झुलसा था। लेकिन मई शुरू होते ही बारिश का दौर भी चला। जिस वजह से जंगल में नमी की मात्रा बढ़ी। साथ ही आग की घटनाएं और दायरा भी कम होता चला गया। 15 जून तक राज्य में 3416.2 हेक्टेयर जंगल को नुकसान पहुंचा है।

इसमें 6602 पेड़ों को भी नुकसान पहुंचा। कुमाऊं के मुकाबले गढ़वाल मंडल के जंगल में नुकसान कम हुआ। वहीं, अलग-अलग घटनाओं में 89 लाख से अधिक की पर्यावरणीय क्षति अब तक हो चुकी है।

मुख्य वन संरक्षक (वनाग्नि) निशांत वर्मा ने बताया कि फिलहाल आग की घटनाएं नियंत्रण में है। लेकिनमानसून शुरू होने तक फायर सीजन मान गंभीरता बरती जाएगी। ताकि जंगलों में किसी तरह का कोई नुकसान न हो।

इसमें 6602 पेड़ों को भी नुकसान पहुंचा। कुमाऊं के मुकाबले गढ़वाल मंडल के जंगल में नुकसान कम हुआ। वहीं, अलग-अलग घटनाओं में 89 लाख से अधिक की पर्यावरणीय क्षति अब तक हो चुकी है।

मुख्य वन संरक्षक (वनाग्नि) निशांत वर्मा ने बताया कि फिलहाल आग की घटनाएं नियंत्रण में है। लेकिनमानसून शुरू होने तक फायर सीजन मान गंभीरता बरती जाएगी। ताकि जंगलों में किसी तरह का कोई नुकसान न हो।

Similar Posts

© 2015 News Way· All Rights Reserved.