



श्रम मंत्री हरक सिंह रावत की अध्यक्षता वाले पुराने बोर्ड के सारे फैसले पलट दिए गए। 45 करोड़ रुपयों का हिसाब नहीं मिलने पर स्पेशल ऑडिट कराए जाने की संस्तुति की गई है। बोर्ड ने मजदूरों के पैसे से संचालित किए जा रहे कोटद्वार का कैम्प कार्यालय और प्रदेश भर में अलग-अलग जगहों पर खोले गए वर्कर फैसिलिटी सेंटर भी बंद करने का निर्णय लिया है।
नवगठित बोर्ड की शनिवार को अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल की अध्यक्षता में नेहरू कॉलोनी स्थित मुख्यालय में पहली बैठक हुई। बैठक में जो वित्तीय रिपोर्ट रखी गई, उसमें करीब 40 करोड़ रुपये ही बोर्ड के पास दिखाए गए, जबकि बैंक एफडी के आधार पर बोर्ड के पास करीब 85 करोड़ रुपये होने चाहिए थे।
बोर्ड में 2017 से न तो ऑडिट हुआ और न ही कभी कोई वित्तीय सेवा का अधिकारी नियुक्त रहा है। ऐसे में नवगठित बोर्ड ने अब तक के काम काज का स्पेशल ऑडिट कराए जाने और बोर्ड में रीजनल कार्यालय में नियुक्त सहायक लेखाधिकारी को बोर्ड मुख्यालय में भी तैनात करने की संस्तुति की है।
बैठक में सदस्य डॉ. इंदू बाला, उदित अग्रवाल, रजनीश शर्मा, बसंत सनवाल, विक्रम सिंह कठैत, प्रमोद बोरा के साथ ही अपर सचिव वित्त अमिता जोशी, बोर्ड सचिव दीप्ति सिंह उपस्थित हुईं।