राजनीति की अजब रीत है, टिहरी को ही देखिए। यहां से कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय पिछले पांच साल से चुनाव लड़ने की तैयारी में जुटे थे। भाजपा से सिटिंग विधायक धन सिंह नेगी टिकट के दावेदार। कांग्रेस में उपेक्षा से व्यथित किशोर चुनाव से पहले अपने वनाधिकार आंदोलन के एजेंडे को लेकर इस कदर सक्रिय हुए कि भाजपा नेताओं से देर रात गुपचुप बैठकें करने पहुंच गए। अब आजकल कोई बात छिपती कहां हैं, कांग्रेस को पता चला तो पूरी तरह पैदल कर दिया। भाजपा ने मौका ताड़ किशोर को लपका और हाथोंहाथ टिहरी से टिकट भी थमा दिया। धन सिंह नेगी अवाक, क्या से क्या हो गया। वह भी जैसे को तैसा की तर्ज पर भाजपा को त्याग कांग्रेस के शरणागत हो गए। कांग्रेस ने तुरंत टिकट दे डाला। स्थिति यह है कि अब भी दोनों नेता मैदान में आमने-सामने हैं, लेकिन चुनाव चिह्न बिल्कुल उलट।
भाजपा से निकल हाल ही में कांग्रेस में वापस लौटे हरक सिंह रावत इन दिनों इस बात से चिंतित हैं कि उत्तराखंड कहीं कर्नाटक न बन जाए। उन्हें सूबे में राजनीतिक अस्थिरता इस कदर कचोट रही है कि दलबदल को खतरनाक ठहरा दिया। लगे हाथ ठीकरा भाजपा पर फोड़ने में देर नहीं लगाई। बोले, 2016 में भाजपा ने कांग्रेस में तोडफ़ोड़ की तो सारथी उन्हें बनाया। तब हरक सिंह रावत आठ अन्य विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ भाजपा में चले गए थे और तत्कालीन हरीश रावत सरकार जाते-जाते बची। हरीश रावत इस घटनाक्रम को छह साल बाद भी भुला नहीं पाए और इसी कारण हरक को छह दिन तक कांग्रेस के दरवाजे पर प्रवेश के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ी। अब हरक कांग्रेस में लौट आए हैं तो पूरी शिद्दत से जुट गए हैं कि इस बार तो कांग्रेस को ही सत्ता में लाना है, तब ही राजनीतिक स्थिरता कायम होगी।
कांग्रेस के दिग्गज हरीश रावत, पार्टी का स्वघोषित मुख्यमंत्री का चेहरा। उम्र के 73वें पड़ाव पर हैं, मगर सक्रियता में नौजवानों को भी पीछे छोड़ देते हैं। राजनीति में किस तरह सुर्खियों में रहा जा सकता है, इनसे अधिक कोई नहीं जानता। इंटरनेट मीडिया का इतना इस्तेमाल कम से कम अपने सूबे में तो कोई नेता नहीं करता। दो दिन पहले अपने चुनाव क्षेत्र लालकुआं के निकट हल्द्वानी में जलेबी तलते इनकी फोटो वायरल हुई, लेकिन इस पर आया एक कमेंट उससे भी दिलचस्प रहा। किसी ने फोटो पर प्रतिक्रिया दी, हरदा दिनभर अपनी सीट पर फैले रायता को समेटने के बाद शाम को जलेबी तल रहे हैं। दरअसल, हरदा पहले रामनगर से चुनाव मैदान में उतरे, लेकिन दो दिन बाद ही कांग्रेस ने उन्हें लालकुआं सीट पर शिफ्ट कर दिया। लालकुआं में टिकट के दावेदारों ने बवाल काटा तो उन्हें मना रायता समेटने में हरदा को मशक्कत करनी पड़ी।
भाजपा ने इस बार अपने 11 सिटिंग विधायकों के टिकट काटे। पार्टी ने पहले ही कह दिया था कि जो विधायक पिछले पांच साल के प्रदर्शन के पैमाने पर खरा नहीं उतरेंगे, उन्हें इस चुनाव में अवसर नहीं दिया जाएगा। मजेदार बात यह रही कि जिनके टिकट कटे, उनमें से तीन विधायक ऐसे, जो अपनी जबान के कारण पिछले पांच साल चर्चा बटोरते रहे। इनमें हरिद्वार जिले की झबरेड़ा सीट के विधायक देशराज कर्णवाल और खानपुर के विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन तो आपस में ही उलझते रहे, जिससे पार्टी और सरकार कई बार असहज हुई। हालांकि पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया, लेकिन उनकी पत्नी रानी देवयानी सिंह को प्रत्याशी बना भरपाई कर दी। ऐसे तीसरे विधायक रहे रुद्रपुर से राजकुमार ठुकराल। दावेदारी पहले से ही संकट में थी, लेकिन चुनाव के वक्त वायरल हुए एक आडियो ने तो रही-सही कसर भी पूरी कर दी। अब देते रहो सफाई।