आज तकरीबन एक साल बाद सचिवालय में होने जा रही रोडवेज की बोर्ड बैठक अहम मानी जा रही। इसमें न सिर्फ रोडवेज के आर्थिक सुधार के लिए कदम उठाए जाने पर फैसला होना है, बल्कि कुछ ऐसे फैसले होने के भी आसार हैं, जो अधिकारियों और कर्मचारियों को रास न आएं। आशंकित रोडवेज कर्मियों ने कर्मचारी संगठनों के माध्यम से पहले ही प्रबंधन को चेताना शुरू कर दिया है। संयुक्त परिषद व कर्मचारी यूनियन ने चेतावनी तक दे दी है कि अगर कुछ भी कर्मचारी विरोधी हुआ तो कर्मचारी संगठन कोई भी आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेंगे।
इसी क्रम में रविवार को रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद ने प्रबंधन को नोटिस भेजकर रोडवेज के आय व व्यय के 28 बैंक खातों की थर्ड पार्टी जांच कराने की मांग रखी है। प्रदेश महामंत्री दिनेश पंत की ओर से जारी सुझाव व चेतावनी नोटिस में हरियाणा राज्य परिवहन की तरह उत्तराखंड में रोडवेज का राजकीयकरण करने की मांग की गई। इसके साथ ही रोडवेज में अनुबंधित बस बेड़े को हटाने और संविदा व विशेष-श्रेणी कार्मिकों को नियमित करने की मांग की गई। मृतक आश्रितों को नियमित नियुक्ति देने और बस अड्डों का संचालन व रखरखाव खुद करने की मांग की गई।