प्रमोशन में आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सियासी बवाल मचा है। सोमवार को लोकसभा में इस मुद्दे पर जमकर बहस हुई तो इसका असर उत्तराखंड सरकार पर भी दिखा। माना जा रहा था कि फैसले की प्रति मिलने के साथ ही सरकार पदोन्नति पर रोक हटा देगी। लेकिन इस मसले पर सियासी रंग चढ़ने से त्रिवेंद्र सरकार के कदम फिलहाल ठिठक गए हैं। प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ सड़क से कोर्ट तक लड़ाई लड़ रहे उत्तराखंड जनरल ओबीसी इंप्लाइज एसोसिएशन ने मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से उनके कार्यालय में मुलाकात की। उन्होंने कोर्ट के फैसले के आलोक में उनसे पदोन्नति पर लगी रोक तत्काल प्रभाव से हटाने की मांग की।
उनके साथ एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री वीरेंद्र सिंह गुसांई, राकेश जोशी, यशवंत सिंह रावत, मुकेश चंद्र ध्यानी, शंकर पाठक, पीपी शैली, हीरा सिंह बसेड़ा, मुकेश बहुगुणा, अरुण पांडेय, संदीप चमोला, सीएल असवाल आदि भी थे। इस दौरान मुख्यमंत्री से अनुरोध किया गया कि न्यायालय का आदेश आ चुका है। इसलिए सरकार तत्काल प्रमोशन पर लगी रोक हटाए और विभागों को युद्धस्तर पर प्रमोशन करने के आदेश दिए जाएं। उन्होंने कहा कि सरकार के निर्णय में जितनी अधिक देरी होगी, अफसरों और कर्मचारियों को उतना अधिक नुकसान होगा।
एसोसिएशन के नेताओं ने सचिवालय में डेरा जमा लिया। उनका कहना है कि वे सचिवालय से आदेश लेकर ही जाएंगे। उधर, कार्मिक विभाग के सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर सियासत गरमाने के कारण पदोन्नति पर रोक का आदेश निरस्त करने में देरी हो सकती है।आदेश की प्रति प्राप्त हो गई है। उच्च स्तर पर इसका अध्ययन होगा। वहां से जो भी निर्देश होंगे, उसके अनुसार आदेश जारी किया जाएगा।