गरीबों के लिए मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के सोशल ऑडिट में कई गड़बड़ियों का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट कार्रवाई के लिए शहरी विकास विभाग को भेज दी है।ग्राम्य विकास विभाग की उत्तराखंड सामाजिक अंकेक्षण जवाबदेही एवं पारदर्शिता एजेंसी (उसाटा) ने प्रदेश के सात जिलों में नगर निकायों में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बने आवासों का ऑडिट किया। रिपोर्ट के अनुसार, नगर पंचायत बागेश्वर में योजना के तहत आवास का निर्माण किया गया था। स्थलीय निरीक्षण के दौरान ऑडिट टीम ने पाया कि उक्त आवास में किरायेदार रह रहे हैं, जबकि लाभार्थी का परिवार किसी दूसरी जगह स्वयं के मकान में रह रहा है।
योजना के तहत जिस परिवार के पास मकान नहीं है, या मकान कच्चा है तो उसे ही सरकार की ओर से आवास बनाने के लिए दो लाख तक की राशि दी जाती है। इसी तरह ऊधमसिंह नगर के महुवा डाबर नगर पंचायत में आवास के लिए पहली किस्त जारी होने के बाद भी निर्माण कार्य शुरू नहीं हुआ है। ऑडिट में खुलासा हुआ है कि कई लाभार्थियों को सरकार की ओर से दी जाने वाली राशि का पूरा भुगतान किया गया, लेकिन आवास का कार्य पूरा नहीं हुआ है।