onwin giriş
Home उत्तराखंड राजनीति

उत्तराखंड कांग्रेस की नई टीम से अपने पुराने कांग्रेसी नहीं संभल रहे; जाने पूरी खबर

एक महीने के चिंतन-मंथन के बाद जुलाई में बनी उत्तराखंड कांग्रेस की नई टीम से अपने पुराने कांग्रेसी नहीं संभल रहे हैं। रामनगर की परिर्वतन यात्रा हो या फिर हल्द्वानी के स्वराज आश्रम की बैठकें। माइक थाम हर कोई सुझाव देने की बजाय भड़ास निकालने में जुटा रहता है। प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर टीका-टिप्पणी को लेकर अगर मंच पर मौका नहीं मिला तो इंटरनेट मीडिया पर शुरू हो जाते हैं। जबकि चुनावी सीजन में एकजुट होने का संदेश देना चाहिए। वहीं, प्रदेश नेतृत्व साढ़े चार साल की तरह चुनावी सीजन में भी मौन साधे हुए हैं। तभी कार्यकारी अध्यक्ष और जिला प्रभारी के सामने अनुशासन को तार-तार करने वाले व्यक्ति विशेष के करीबियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती।उत्तराखंड में हर पांच साल में सत्ता परिवर्तन की परंपरा राज्य गठन के बाद से ही चली आ रही है, लेकिन जून में नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश के निधन से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा। जिसके बाद प्रदेश नेतृत्व में बड़ा फेरबदल करते हुए प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष, गणेश गोदियाल को अध्यक्ष व रणजीत सिंह रावत, भुवन कापड़ी, प्रो. जीतराम और तिलकराज बेहड़ को कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया। इसके अलावा अन्य कई बदलाव संगठन में हुए। सितंबर की शुरुआत में कांग्रेस ने ऊधमसिंह नगर व नैनीताल जिले में परिवर्तन यात्रा निकाल शक्ति प्रदर्शन करने के साथ कार्यकर्ताओं में जोश भरने का पूरा प्रयास किया, लेकिन रामनगर पहुंचते ही चुनाव अभियान समिति अध्यक्ष हरीश रावत और कार्यकारी अध्यक्ष रणजीत रावत की राह बदल गई।

इसके बाद स्वराज आश्रम में जिला प्रभारी और विधायक हरीश धामी व रणजीत रावत के सामने भी करीबियों ने हंगामा खड़ा कर दिया और चुनावी कार्यक्रम गुटबाजी की भेंट चढ़ गया। कुल मिलाकर चुनावी संग्राम में मिशन फतह के लिए उतरी नई टीम भी फिलहाल आपसी द्वंद्व के पुराने चक्रव्यूह से बाहर नहंीं निकल पा रही रही।पार्टी के कार्यक्रमों को सफल बनाने का जिम्मा जिला और महानगर कार्यकारिणी पर रहता है, लेकिन किसी भी कार्यक्रम के शुरू होने पर व्यक्ति विशेष से प्रभावित कांग्रेसी पहुंच जाते हैं। इनका मंच पर माइक थाम भड़ास निकालने और दूसरे गुट को टारगेट करने पर ज्यादा फोकस रहता है। जबकि कार्यक्रम के आयोजन की तैयारियों में भूमिका शून्य रहती है। हंगामे की वजह से जिले और नगर कार्यकारिणी की मेहनत पर पानी फिर जीता है।नेता प्रतिपक्ष डा. इंदिरा हृदयेश के निधन के बाद उनके बेटे सुमित हृदयेश हल्द्वानी विधानसभा क्षेत्र के सभी वार्डों में पदयात्रा निकाल रहे हैं। कांग्रेसियों संग घर-घर जाकर लोगों की समस्या सुनने के साथ समाधान के प्रयास में भी जुटे हैं। इंदिरा विकास संकल्प यात्रा का फायदा चुनाव में कांग्रेस को ही होगा, लेकिन पार्टी के कुछ लोग प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर टिप्पणी करने से नहीं रुक रहे। सोमवार को स्वराज आश्रम में बैठक के दौरान लंबे समय बाद हल्द्वानी पहुंचे पूर्व दर्जा राज्यमंत्री प्रयाग दत्त भट्ट ने भी यात्रा को लेकर टिप्पणी कर दी। जिसके बाद मौजूद युवाओं ने सुमित के समर्थन में जमकर नारेबाजी की।

 

Similar Posts

© 2015 News Way· All Rights Reserved.