उत्तराखंड के लघु, कुटीर और सूक्ष्म उद्योगों (एमएसएमई सेक्टर) की राह को राज्य सरकार सुगम बना रही है। इस श्रेणी की औद्योगिक इकाइयों में उत्पादन प्रभावित न हो, इसे देखते हुए लघु उद्योगों की समस्याओं का समाधान 24 घंटे के भीतर किया जा रहा है। उद्यमी को केवल उद्योग विभाग के सिंगल विंडो सिस्टम पोर्टल पर अपनी समस्या रखनी होती है। इस पोर्टल के जरिये उद्यमियों की विद्युत आपूर्ति, पानी, सड़क के अलावा राज्य एवं केंद्र सरकार की ओर से मिलने वाले अनुदान से जुड़ी समस्याओं का निराकरण किया जा रहा है।कोरोनाकाल में कच्चे माल और कामगारों की उपलब्धता के साथ तैयार उत्पाद की मांग में आई कमी से लघु उद्योग बुरी तरह प्रभावित रहे। ऐसे में लघु उद्यमियों को राज्य सरकार की तरफ से मदद की दरकार थी। कोरोना की रोकथाम के लिए एक साल पहले 22 मार्च 2020 को लगे लाकडाउन से प्रदेशभर में लघु उद्योग का पहिया थम गया था। सेलाकुई, हरिद्वार व काशीपुर में 63 हजार से अधिक औद्योगिक इकाइयों पर ताले लटक गए थे, जो करीब दो महीने बाद खुले।
इस वर्ष कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान औद्योगिक क्षेत्रों को बंदी से मुक्त रखा गया, लेकिन कामगारों व उद्यमियों के संक्रमण की चपेट में आने से उत्पादन प्रभावित रहा। इस अवधि में बाजार बंद होने से मांग में बहुत ज्यादा कमी आई। कच्चे माल की कीमत भी बढ़ गई। ऐसे समय उद्यमी चाहते थे कि सरकार की ओर से उनकी समस्याओं के समाधान के लिए कोई रोडमैप तैयार किया जाए।उद्योग निदेशक सुधीर चंद्र नौटियाल ने बताया कि बीते चार अगस्त को उद्योग सचिव राधिका झा ने उद्यमियों के साथ बैठक में निर्देशित किया था कि उद्योगों की समस्याओं के समाधान के लिए पोर्टल तैयार करें और प्राप्त होने वाली शिकायतों का 24 घंटे के भीतर समाधान करें। अभी तक सौ से अधिक उद्यमियों की समस्याओं का समाधान हो चुका है।उद्योग भारती उत्तराखंड के प्रांत महामंत्री विजय सिंह तोमर ने बताया कि लघु उद्यमियों की उद्योग विभाग व सिडकुल से संबंधित कई समस्याएं लंबे समय तक लटकी रहती हैं। सड़क की बदहाली, विद्युत आपूर्ति, रुके हुए केंद्रीय अनुदान जैसी मांगों को उद्यमियों ने इसी माह उद्योग सचिव के समक्ष उठाया था। जिस पर विभाग ने समाधान पोर्टल शुरू किया है। सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है।