



विधानसभा सत्र के दौरान को विपक्ष की ओर से रखे गए इस मसले का जवाब देते हुए संसदीय कार्यमंत्री मदन कौशिक ने सदन को यह जानकारी दी कि टीएचडीसी का एनटीपीसी में विलय के संबंध में केंद्र से कोई पत्र राज्य सरकार को नहीं मिला है
मदन कौशिक ने यह भी बताया कि जब भी केंद्र सरकार ऐसी कोई योजना बनाऐंगी तो राज्य से विचार विमर्श जरूर करेगी। यदि ऐसा कोई मामला आयेगा तो राज्यहित के विषयों को लेकर सरकार तत्पर रहेगी । जिसमें सहभागिता पुनर्वास कार्मिकों के हित जैसे मामले शामिल होंगे।
सदन की कार्यवाही शुरू होते ही नेता प्रतिपक्ष डॉ इंदिरा हृदयेश ने टीएचडीसी का मुद्दा उठाते हुए नियम 310 ;सभी कामकाज रोककर चर्चा में चर्चा की मांग की। पीठ ने इसे नियम 58 की ग्राह्यता पर सुनने की व्यवस्था दी। बाद में विषय की ग्राह्यता पर डॉ हृदयेश ने कहा कि टीएचडीसी न सिर्फ उत्तराखंड बल्कि राष्ट्रीय धरोहर है।
अब इसे एनटीपीसी को सौंपा जा रहा। इससे राज्यवासियों के साथ ही टीएचडीसी में कार्यरत कार्मिक भयभीत हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर ऐसी क्या मजबूरी है जो लाभ में चल रहे इस संस्थान का विलय किया जा रहा है।