



जेईई मेन परीक्षा में शानदान प्रदर्शन करने वाले ऐसे ही कई युवा सामने आए हैं, जो कि आर्थिक रूप से कमजोर होने के बावजूद इंजीनियर बनने के सपने की ओर बढ़ चले हैं। वह उन युवाओं के लिए भी मिसाल हैं जो कि सभी संसाधन होने के बावजूद पढ़ाई से जी चुराते हैं।पिता ठेली पर सब्जी बेचकर परिवार का गुजर बसर करते हैं। आर्थिक हालात आड़े आए लेकिन निशांत मेनवाल ने हार नहीं मानी। जेईई मेन परीक्षा में उन्होंने 90.24 परसेंटाइल स्कोर किया है।
कैलाशपुर निवासी निशांत के पिता बबलू मेनवाल सब्जी बेचते हैं जबकि मां ओमवती मेनवाल गृहिणी हैं। निशांत ने बताया कि उनके पिता हमेशा चाहते थे कि उनका बेटा पढ़ लिखकर इंजीनियर बने। देश के विकास में अपना योगदान दे।
इसके लिए उन्होंने आर्थिक तंगी के बावजूद अपने बेटे को पढ़ाया। आज बेटे ने जेईई मेन में उत्कृष्ट प्रदर्शन किया तो वह बेहद खुश हैं। निशांत ने 12वीं की परीक्षा एसजीआरआर पटेलनगर से पास की है। वह सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते हैं, जिसके लिए उनकी पहली पसंद कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग है।
किसी तरह परिवार का गुजर बसर कर रहे हैं लेकिन बेटे को इंजीनियर बनाना चाहते हैं। उनकी इस चाहत को पूरा किया है बेटे आयुष धीमान ने। आयुष ने जेईई मेन में 97.70 परसेंटाइल स्कोर किया है। एनआईटी में सीट लगभग पक्की हो गई है। अब वह आईआईटी की तैयारी में जुट गए हैं।
जेईई मेन परीक्षा में स्वाति सक्सेना ने 92.19 परसेंटाइल स्कोर किया है। वह एक सामान्य परिवार से हैं। उनके पिता घर पर ही चक्की चलाकर गुजर बसर करते हैं।
नवादा निवासी स्वाति ने हिमज्योति स्कूल से 12वीं पास की। उनकी तमन्ना इंजीनियर बनने की थी। इसकी तैयारी शुरू की।