उत्तराखंड सरकार ने कोरोना संक्रमण के मामलों में लगातार कमी को देखते हुए सभी सरकारी कार्यालय शत-प्रतिशत उपस्थिति के साथ खोलने के निर्देश जारी कर दिए हैं। अभी तक ये कार्यालय 50 प्रतिशत कर्मचारी क्षमता के साथ खोले जा रहे थे। इसके साथ ही सरकार ने दिव्यांग व महिला कर्मचारियों के लिए कार्यालय में उपस्थित न होने की छूट को भी समाप्त कर दिया है।
प्रदेश सरकार ने इस वर्ष कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के कारण मामलों में बढ़ोतरी के मद्देनजर 22 अप्रैल को आदेश जारी करते हुए 28 अप्रैल तक सभी सरकारी कार्यालय बंद करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद सरकार ने एक अन्य आदेश जारी कर 29 अप्रैल से सरकारी विभागों में समूह समूह क व ख के शत-प्रतिशत और समूह ग व घ के 50 प्रतिशत कर्मचारियों को रोटेशन के आधार पर कार्यालय आने की व्यवस्था दी। हालांकि, आवश्यक सेवाओं वाले विभागों में कर्मचारियों की शत-प्रतिशत उपस्थिति बरकरार रही।
इस आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि गर्भवती महिला कार्मिक व ऐसी महिला कार्मिक, जिनकी संतान 10 वर्ष से कम आयु की हैं, उन्हें अपरिहार्य स्थिति में ही कार्यालय बुलाया जाएगा। दिव्यांग कार्मिकों के लिए भी अपरिहार्य स्थिति में ही कार्यालय में बुलाए जाने की व्यवस्था दी गई। तब से 50 प्रतिशत कर्मचारी ही कार्यालयों में आ रहे थे। कर्मचारियों की कम उपस्थिति का असर कार्यालयों के कामकाज पर नजर आया। यहां जनहित से जुड़े व विकास कार्यों की रफ्तार धीमी होने लगी। हालांकि, संक्रमण की गति को देखते हुए सरकार ने 50 फीसद कर्मचारियों की उपस्थिति की व्यवस्था बरकरार रखी।
कोरोना संक्रमण में कमी आने के बाद सरकार ने तमाम बंदिशों में रियायत देनी शुरू कर दी। अब इसी कड़ी में सरकार ने सरकारी कार्यालयों में शत-प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य कर दी है। प्रभारी सचिव सामान्य प्रशासन विनोद कुमार सुमन ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। आदेश में कहा गया है कि कार्यालयों में कर्मचारियों की उपस्थिति को लेकर पूर्व में जारी सभी आदेश निरस्त किए गए हैं। अब सभी कार्यालयों में शत-प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित की जाएगी। कार्यालयों में कोरोना महामारी से बचाव के सभी उपाय व आवश्यक सावधानी अपनाने के भी निर्देश दिए गए हैं।