‘प्रदेश के एक मात्र आइएसबीटी की स्थिति इतनी खराब है। देशभर के पर्यटक यहां से सफर करते हैं, ऐसे में वह उत्तराखंड रोडवेज की क्या छवि लेकर जाते होंगे।’ आइएसबीटी के औचक निरीक्षण को पहुंचे परिवहन मंत्री चंदन रामदास का पारा कुछ इसी तरह चढ़ गया।आइएसबीटी पर तैनात रोडवेज अधिकारियों व इसका संचालन कर रही रैमकी कंपनी के अधिकारियों को मंत्री ने एक माह के अंदर व्यवस्था को सुधारने की चेतावनी दी।अचानक आइएसबीटी पहुंचे परिवहन मंत्री रामदास ने न केवल बस अड्डे का औचक निरीक्षण किया बल्कि इस परिवहन निगम की बसों में जाकर यात्रियों से बातचीत की। मंत्री ने यात्रियों और आइएसबीटी के दुकानदारों से भी बातचीत की और बस सेवा व सुविधा का फीडबैक लिया। उन्होंने पूरे परिसर का भ्रमण कर टिकट काउंटर पर बैठे कार्मिकों से भी बातचीत की।
उन्होंने आइएसबीटी में यात्रियों के बैठने, पेयजल व स्वच्छता समेत शौचालय की व्यवस्था का निरीक्षण किया। निरीक्षण के समय उन्होंने परिवहन निगम के अधिकारियों को निर्देश दिए कि यात्रियों की सुविधा के दृष्टिगत समस्त व्यवस्थाएं दुरुस्त रखी जाएं।उन्होंने निर्देश दिए कि एक हफ्ते के अंदर यात्रियों को बैठने के लिए बैंच की पूरी व्यवस्था की जाए। यह सुनिश्चित होना चाहिए कि पेयजल आपूर्ति बाधित न हो व शौचालय में पर्याप्त स्वच्छता रहे। काउंटर का निरीक्षण कर निर्देश दिए कि यात्रियों की सुविधा के दृष्टिगत सभी जानकारी बोर्ड पर चस्पा की जाएं। बुजुर्ग जनों को आवागमन के लिए कोई परेशानी न हो।आइएसबीटी परिसर की बदहाली की सबसे बड़ी वजह उसका जर्जर बस स्टैंड परिसर हैं। परिसर टूटा होने के कारण यहां धूल का गुबार उड़ता दिखा। यही वजह है कि यात्री परिसर के अंदर के बजाए बाहर ही इंतजार कर बस में बैठते हैं। परिवहन मंत्री ने इसमें सुधार के निर्देश दिए।
कंपनी मैनेजर ने बताया कि निर्माण कार्य के लिए कई दफा प्रयास किया गया, लेकिन दूसरा पक्ष मुकदमा दर्ज करा देता है। बताया कि उन पर आधा दर्जन मुकदमे दर्ज हैं। जिस पर परिवहन मंत्री ने कहा कि व्यवस्था को सुधारो, बाकी वह देख लेंगे।निरीक्षण के दौरान जब परिवहन मंत्री ने शौचालय की स्थिति देखी तो उन्हें रूमाल से मुंह को ढकना पड़ा। इसके बाद उन्होंने मौके पर कंपनी के प्रबंधक को शौचालय की स्थिति दिखाई व इसमें सफाई के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा।परिवहन मंत्री ने पीने के पानी के बारे में पूछा तो कंपनी प्रबंधक ने बताया कि टंकी में आरओ वाटर सप्लाई होता है, मगर जब उन्होंने पानी की टंकी के पीछे लगा आरओ वाटर रूम का दरवाजा खुलवाया तो वे दंग रह गए। आरओ की स्थिति ऐसी लगी जैसे सालों से उस पर किसी ने ध्यान नहीं दिया और न ही उसका फिल्टर बदला गया।जब परिवहन मंत्री ने विकलांग जनों के लिए आरक्षित शौचालय पर ताला लटका देखा तो इसके बंद होने का कारण प्रबंधक से पूछा। कंपनी के प्रबंधक बीएस नेगी का जवाब था कि यहां कोई विकलांग आता ही नहीं। इसलिए शौचालय को स्टोर रूम बना दिया गया है। मंत्री ने उसका ताला तत्काल खोलने व शौचालय के लिए इस्तेमाल करने के निर्देश दिए।