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शासन को उच्च न्यायालय में क्षैतिज आरक्षण पर रोक वाले आदेश की प्रति प्राप्त हो गई

सरकारी नौकरियों में महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण पर न्यायालय की रोक के बाद अब राज्य सरकार दूसरे राज्यों से ब्योरा जुटा रही है। ऐसी जानकारी है कि आंध्र प्रदेश, राजस्थान, त्रिपुरा और मध्य प्रदेश में महिलाओं को सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण की व्यवस्था है।

शासन को उच्च न्यायालय में क्षैतिज आरक्षण पर रोक वाले आदेश की प्रति प्राप्त हो गई है। अपर सचिव कार्मिक ललित मोहन रयाल ने इसकी पुष्टि की है। बकौल रयाल, सरकार इसका अध्ययन करेगी। विधि विशेषज्ञों के मुताबिक, महिलाओं के क्षैतिज आरक्षण के मामले में अब सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प भी है। शासन स्तर पर ऐसे संकेत हैं कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर कर सकती है, लेकिन इसके लिए पहले कार्मिक विभाग न्यायालय में मजबूत पैरवी के लिए तथ्यों और तर्कों का आधार तैयार करेगा।

देश के उन राज्यों से जानकारी जानकारी जुटाई जाएगी, जहां मूल निवासी महिलाओं को सरकारी नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। उच्चाधिकारियों ने कार्मिक विभाग को इस काम में जुटने के निर्देश भी दे दिए हैं।
प्रारंभिक जांच में जिन राज्यों में महिलाओं को नौकरियों में क्षैतिज आरक्षण का लाभ दिया जा रहा है। अब सरकार की जिज्ञासा उन नियमों, प्रावधानों, शासनादेशों और अधिनियमों के बारे में जानने की है, जिनके तहत ऐसे राज्यों ने अपने यहां क्षैतिज आरक्षण के प्रावधान किए हैं।

आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक, 2019 तक उत्तर प्रदेश में मूल निवासी महिलाओं को सरकारी नौकरियों में 20 प्रतिशत क्षैतिज आरक्षण का प्रावधान था, लेकिन इलाहाबाद उच्च न्यायालय विपिन कुमार मौर्य व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य के मामले में इस प्रावधान पर रोक लगा दी।

क्षैतिज आरक्षण

राज्य           क्षैतिज आरक्षण प्रतिशत
उत्तराखंड     30 प्रतिशत(रोक लगी)
उत्तर प्रदेश     20 प्रतिशत (रोक लगी)
राजस्थान      30 प्रतिशत
मध्य प्रदेश     30 प्रशितआदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद इसका अध्ययन करेंगे। विधिक चर्चा के बाद ही आगे का कदम तय करेंगे।
– शैलेश बगौली, सचिव (कार्मिक)

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