



भारतीय राष्ट्रीय कार्टोग्राफी संघ (आईएनसीए) की ओर से देहरादून में आयोजित 39वें अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस में वैज्ञानिकों ने इस तकनीक के बारे में जानकारी दी। विद्यासागर विवि की प्रोफेसर एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. नीलांजना दास चटर्जी ने ‘स्पेशियो टेंपोरल एनालिसिस ऑफ क्राइम अगेंस्ट वूमेन इन वेस्ट बंगाल’ विषय पर व्याख्यान देते हुए बताया कि पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती जिलों कूचबिहार, दीनाजपुर, मुर्शिदाबाद, मालदा, नादिया, 24 परगना, आसनसोल जिलों में कई माह सर्वे और इनका जीआईएस डाटा तैयार किया है।
इसे तैयार करते समय दुराचार, हत्या, छेड़खानी जैसी घटनाओं को शामिल किया। कई माह के सर्वे के बाद इन सभी जिलों का जीआईएस एप्लीकेशन तैयार किया। डॉ. नीलांजना दास चटर्जी ने बताया कि उनकी टीम ने एनविवो और इरडास सॉफ्टवेयर तैयार किया है।
इसके माध्यम से अधिकारी माउस क्लिक करते ही जानकारी हासिल कर सकेंगे कि उनके जिले में ऐसे कौन-कौन से इलाके हैं जहां दुराचार, हत्या व हिंसक घटनाएं अधिक हैं। डॉ. चटर्जी का मानना है कि इस प्रकार का डाटा पूरे देश में इकट्ठा करने के साथ ही सॉफ्टवेयर में उसकी फीडिंग कर अपराधों पर काफी हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।
आईएनसीए के अंतरराष्ट्रीय कांग्रेस को संबोधित करते हुए महासर्वेक्षक लेफ्टिनेंट जनरल गिरीश कुमार (वीएसएम) ने कहा कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग ने विभिन्न राज्य सरकारों के साथ मिलकर सभी आबादी क्षेत्रों का ड्रोन के माध्यम से सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। जल्द पूरे देश में भारतीय सर्वेक्षण विभाग की ओर से आबादी के नक्शे बनाए जाएंगे। हरियाणा में किए जा रहे आबादी सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया है। इसे सभी राज्यों में लागू करने और समय सीमा में पूरा करने का निर्णय लिया है।
कर्नाटक व महाराष्ट्र में भी आबादी का सर्वेक्षण शुरू कर दिया है। यूपी, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, केरल, गोवा, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इसे शुरू कराने के लिए वार्ताएं चल रही हैं। उन्होंने बताया कि बाढ़ से बचाव के लिए राष्ट्रीय जल शक्ति मंत्रालय के अंतर्गत नदियों के लिडार मैपिंग द्वारा बेहद सूक्ष्म मानचित्र तैयार किए जा रहे हैं। जिसे राष्ट्रीय जल शक्ति मंत्रालय संबंधित विभागों को साझा करेगा। इस मैपिंग के माध्यम से राज्य सरकारों को बाढ़ से बचाव के प्रबंधन करने में मदद मिलेगी।
शांति निकेतन विवि के प्रोफेसर विजय झा ने बताया कि ऐसे डाटा को न केवल बनाना जरूरी है, बल्कि उसका विभिन्न विभागों में साझा करना भी आवश्यक है। भारतीय सर्वेक्षण विभाग के अपर महासर्वेक्षक नवीन तोमर ने कहा कि भारतीय सर्वेक्षण विभाग की स्थापना 40 साल पूर्व 1979 में हुई थी। यह भारतीय राष्ट्रीय कार्टोग्राफी संघ का वार्षिक कांग्रेस चित्रकला से संबंधित विचार विमर्श का एक मुख्य मंच है। कांग्रेस में दर्जनभर से अधिक वैज्ञानिकों ने कार्टोग्राफी डिजिटल मैप के क्षेत्र में किए गए कई शोधपत्र पढ़े।
हैदराबाद और उन्नाव में युवतियों के साथ हुई आपराधिक घटनाओं को लेकर पूरे देश में मचे बवाल के बीच यह खबर सुकून देने वाली है। विज्ञानियों ने एक ऐसा ‘जीआईएस एप्लीकेशन’ तैयार किया है जिसके जरिए न सिर्फ महिलाओं के साथ होने वाले आपराधिक कृत्यों को रोका जा सकेगा बल्कि उन इलाकों की बारीकी से निगरानी की जा सकेगी जहां दुराचार और हत्या जैसी घटनाएं अधिक होती हैं।