उत्तराखंड में पुलिस कर्मियों के ग्रेड पे को लेकर गठित मंत्रिमंडल की उप समिति की बैठक में फिलहाल कोई निर्णय नहीं हुआ। उप समिति ने सचिव वित्त को इस तरह के सभी प्रकरणों का अध्ययन करने और इससे राज्य में पड़ने वाले वित्तीय भार के संबंध में जानकारी एकत्र कर अगली बैठक में प्रस्तुत करने को कहा है। बैठक में पुलिस मुख्यालय द्वारा गठित समिति ने पुलिस कर्मियों के वेतन को लेकर अपना प्रत्यावेदन प्रस्तुत किया। सूत्रों की मानें तो इसमें पुलिस कर्मियों को पुरानी व्यवस्था की भांति ग्रेड पे देने की संस्तुति की गई है।
मंत्रिमंडल की उप समिति के अध्यक्ष सुबोध उनियाल ने कहा कि सरकार इस मसले पर गंभीर है। ऐसा समाधान निकालने का प्रयास किया जा रहा है, जिससे अंतिम निर्णय पर पहुंचा जा सके। पुलिस कर्मी इस समय ग्रेड पे के मसले को लेकर आक्रोशित चल रहे हैं। दरअसल, पुलिस महकमे में पहले 10 वर्ष, 16 वर्ष और 26 वर्ष की सेवा पर पदोन्नति का प्रविधान था। पदोन्नति न होने की सूरत में इन्हें उस पद का ग्रेड वेतन दिया जाता था।
छठे वेतनमान के बाद अब 10 वर्ष, 20 वर्ष और 30 वर्ष में पदोन्नति देने का प्रविधान किया गया है। पुलिस कर्मियों का विरोध इस बात पर है कि अब अगले पद पर पदोन्नति न होने की स्थिति में उन्हें ग्रेड वेतन अगले पद का नहीं मिलेगा। ग्रेड वेतन के स्लैब का अगला ग्रेड वेतन उन्हें दिया जाएगा, जो बेहद कम है। पुलिस के जवानों का पहला ग्रेड वेतन 2400 का है। पदोन्नति न होने की सूरत में उन्हें अगला ग्रेड वेतन 2800 रुपये का मिलेगा, जो पहले 4600 रुपये मिल रहा था।