भाजपा सरकार ने गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित करके एक महत्वपूर्ण राजनीतिक दांव खेल दिया है। हालांकि यह बात भी अपनी जगह रही है कि हरीश रावत सरकार के जमाने से ही गैरसैंण को राजधानी बनाने के संकेत मिलने लगे थे।भाजपा के 2017 के घोषणापत्र में भी गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने की बात कही गई थी, जिसे इस बजट सत्र में पूरा कर दिया गया है। हालांकि गैरसैंण को पूर्ण राजधानी बनाने की मांग करने वालों के अपने-अपने दावे और सवाल हैं। एक समय तक गैरसैंण से भाजपा और कांग्रेस दूरी बनाकर चलते थे, लेकिन 2012 में तत्कालीन सीएम विजय बहुगुणा ने यहां पर पहली बार कैबिनेट बैठक कर एक नई दिशा तैयार की।
तभी से संकेत उभरने लगे थे कि अब गैरसैंण में कुछ न कुछ तो होगा ही। अब गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाने से भले ही भाजपा को एक माइल स्टोन मिल गया हो, लेकिन इसकी पटकथा तब लिखी जा चुकी थी, जब पहली बार 2016 में हरीश रावत ने गैरसैंण में बजट सत्र आयोजित किया था। उस वक्त एक संकल्प भी पारित किया गया था, जिसमें हर बजट सत्र को गैरसैंण में करने की बात कही गई थी। हालांकि 2014 से ही यहां पर सत्र संचालित हो रहे थे, लेकिन बजट सत्र गैरसैंण में आयोजित होने के बाद यह महसूस होने लगा कि अब गैरसैंण की अनदेखी संभव नहीं है। बजट सत्र से पहले बदरीनाथ विधायक महेंद्र भट्ट ने एक बयान दिया था, जिसमें कहा था कि मुख्यमंत्री से बात हो गई है। गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया जाएगा। यह बात बुधवार को मुख्यमंत्री की घोषणा के साथ सही साबित हो गई।