



निर्भया के कातिलों का डेथ वारंट जारी होने की खबर सुनकर देहरादून स्थित उनके संस्थान में खुशी की लहर है। निर्भया के जूनियर रहे छात्रों का कहना है कि अब इंसाफ हुआ है। ऐसे दरिंदों की सही सजा फांसी ही है। दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जाएगी।दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म का शिकार हुई निर्भया देहरादून के एक संस्थान में पढ़ती थी। उनके साथ हुई इस दरिंदगी से संस्थान में पढ़ने वाले उनके साथियों में भारी रोष था। संस्थान ने निर्भया को आज भी यादों में जिंदा रखा हुआ है।
निर्भया के नाम से हर साल पांच बेटियों को निशुल्क शिक्षा दी जा रही है। मंगलवार को जैसे ही सुप्रीम कोर्ट ने निर्भया के कातिलों का डेथ वारंट जारी किया तो संस्थान में खुशी की लहर दौड़ गई। उनके संगी साथी और जूनियर छात्रों ने खुशी मनाई।
उनका कहना था कि अब जाकर उनकी दोस्त को इंसाफ मिला है। संस्थान के चेयरमैन सहित सभी शिक्षक भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश नजर आए। संस्थान के चेयरमैन हरीश अरोड़ा ने कहा कि निर्भया तो हमारे बीच नहीं रही लेकिन यह सजा कहीं न कहीं उसके लिए इंसाफ है।
निर्भया के शिक्षक जितेंद्र सिन्हा ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश हैं। छात्रा ज्योति आर्य ने कहा कि निर्भया के साथ जो दरिंदगी हुई थी, उसकी सजा फांसी ही होनी चाहिए थी, जो कि आज हुआ है।छात्रा पूजा नैथानी ने कहा कि दरिंदों को फांसी मिलने से समाज में एक संदेश जाएगा। फिर कोई दरिंदगी करने से पहले दस बार सोचेगा। छात्रा अलीशा अग्रवाल ने कहा कि दरिंदों को अब उनके किए की सजा मिलेगी।
निर्भया मामले में कोर्ट की ओर दोषियों के लिए डेथ वारंट दिए जाने के निर्णय का मेयर अनिता ममगाईं ने स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि पटियाला हाउस कोर्ट में हुए फैसले पर देशभर की मातृ शक्ति की निगाह लगी हुई थी।
वर्ष 2012 के दिसंबर में दिल्ली में हुए गैंगरेप ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया था। देश को झकझोरने वाली इस घटना में दोषियों को सजा मिलने से देश में महिला शक्ति को मजबूती मिलेगी। साथ ही इस फैसले से ऐसे जघन्य अपराध करने वाले अपराधियों में कानून का खौफ पैदा होगा।