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कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले पुरोला विधायक राजकुमार की विधानसभा की सदस्यता पर संकट

कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामने वाले पुरोला विधायक राजकुमार की विधानसभा की सदस्यता पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने विधायक के खिलाफ दल बदल विरोधी कानून के तहत कार्रवाई की मांग को लेकर विधानसभा सचिवालय में याचिका प्रस्तुत की है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने याचिका मिलने की पुष्टि करते हुए कहा कि इस सिलसिले में जल्द प्रक्रिया शुरू की जाएगी।पुरोला से कांग्रेस विधायक राजकुमार और धनोल्टी से निर्दलीय विधायक प्रीतम सिंह पंवार ने हाल में दिल्ली में भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। तब से इन विधायकों की सदस्यता को लेकर संशय गहराने लगा था। मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस प्रकरण को तूल देने के साथ विधानसभा में याचिका प्रस्तुत करने की बात कही थी। इसी कड़ी में नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने बुधवार को विधानसभा पहुंचकर विधायक राजकुमार के खिलाफ विधानसभा के प्रभारी सचिव मुकेश सिंघल को याचिका सौंपी। याचिका में विधायक राजकुमार की सदस्यता समाप्त करने और आगामी चुनाव के लिए उन्हें अयोग्य घोषित करने का आग्रह किया गया है।

संपर्क करने पर विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि ऐसे मामलों में तब तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता, जब तक कोई याचिका नहीं आती। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष की ओर से विधायक राजकुमार के खिलाफ याचिका विधानसभा को मिल गई है। अब इसमें प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि याचिका मिलने पर पहले बुलेटिन जारी किया जाता है और फिर संबंधित विधायक को नोटिस भेजकर प्रकरण में सुनवाई की जाती है। इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जाता है।राज्य के राजनीतिक इतिहास में दल बदल की ये पहली घटनाएं नहीं हैं। मार्च 2016 में विधानसभा के बजट सत्र के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के नेतृत्व में कांग्रेस के नौ विधायकों ने पार्टी छोड़ने का एलान कर तत्कालीन हरीश रावत सरकार के लिए संकट पैदा कर दिया था। ये विधायक इसके बाद भाजपा में शामिल हो गए थे। तब विधानसभा अध्यक्ष ने दल बदल कानून के तहत इन नौ विधायकों की सदस्यता समाप्त कर दी थी।दल-बदल को लेकर विधानसभा की नियमावली है। इसके तहत किसी सदस्य के अयोग्य घोषित होने के लिए अलग-अलग परिस्थितियां हैं। यदि कोई चुना हुआ प्रतिनिधि अपने दल की सदस्यता छोड़ दे, कोई निर्दलीय सदस्य किसी दल में शामिल हो जाए, कोई सदस्य अपने पार्टी व्हिप के खिलाफ जाकर वोट दे या वोटिंग से स्वयं को अलग कर ले, किसी दल के दो-तिहाई से कम सदस्य किसी दूसरे दल में शामिल हो जाएं अथवा अलग पार्टी बना लें तो इन परिस्थितियों में दल-बदल विरोधी कानून के तहत उनकी सदस्यता जा सकती है।

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