उत्तराखंड के सरकारी अस्पतालों में दवाओं की कमी दूर करने के लिए चिकित्साधिकारियों के वित्तीय अधिकार बढ़ाने की तैयारी की जा रही है। अभी तक मुख्य चिकित्साधिकारी 25 हजार की दवाएं ही कोटेशन के आधार पर ले सकते हैं।जिला चिकित्सालय (कोरोनेशन अस्पताल) में जन औषधि मित्र सम्मेलन आयोजित किया गया। इसमें मुख्य अतिथि स्वास्थ्य मंत्री डा. धन सिंह रावत ने कहा कि सीएमओ और सीएमएस को आपात स्थिति में जन औषधि केंद्रों व अनुबंधित फर्म के माध्यम से दवाओं की खरीद का अधिकार दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि यह प्रस्ताव शासन में है। नई व्यवस्था में अस्पताल में दवा उपलब्ध न होने पर भी मरीजों को तत्काल दवा उपलब्ध करा दी जाएगी। समर्पण संस्था के सहयोग से आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने जनऔषधि के बेहतर उपयोग एवं प्रचार-प्रसार के लिए चिकित्सकों व फार्मेसिस्ट को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया।स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि यदि कोई चिकित्सक मरीजों को बाहर की दवा लिखता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा कि दवाओं के अलावा सरकारी अस्पतालों में पैथोलाजी सुविधा भी मुफ्त दी जा रही है, जिसका फायदा आमजन को मिल रहा है। राज्य और केंद्र सरकार की विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ आम जन तक पहुंचाने के निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं, जिसके नतीजे सामने आने लगे हैं। राज्य में शिशु मृत्यु दर में चार अंक का सुधार हुआ है।उन्होंने कहा कि किसी भी कार्मिक को पदोन्नति व स्थानांतरण के लाभ से वंचित नहीं किया जाएगा। चिकित्सकों, फार्मेसिस्ट, नर्स सहित सभी कार्मिकों को समय पर पदोन्नति दी जाएगी। साथ ही स्थानांतरण प्रक्रिया भी अलग से चलती रहेगी। कार्यक्रम में स्वास्थ्य महानिदेशक डा. तृप्ति बहुगुणा, समर्पण की अध्यक्ष डा. गीता खन्ना,सीएमओ डा. मनोज उप्रेती, सीएमएस डा. शिखा जंगपांगी आदि मौजूद रहे।जन औषधि केंद्रों के संचालन में राज्य अभी 13वें स्थान पर है। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मिलकर प्रयास करना होगा कि हम टाप थ्री में जगह बनाएं। इसके बाद आगे का सफर तय करेंगे। जन औषधि केंद्रों को सात दिन 24 घंटे चलाने की बात भी उन्होंने कही। उन्होंने कहा कि वर्तमान में उत्तराखंड में 213 जन औषधि केंद्र संचालित हैं। निकट भविष्य में इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी। ताकि आमजन को सस्ती व अच्छी गुणवत्ता की दवाएं उपलब्ध हो पाएं।