चोपड़ा गांव में है एक साथ 23 मन्दिरो के समूह सीतावनी से महज चार किलामीटर की दूरी पर मौजूद है पुरानी धरोहर।
विनोट पपनै रामनगर, अगर उत्तराखंड में स्थापत्य कला की बात की जाए तो बेजोड़ एवम बेमिशाल डदाहरण दिये जा सकते है । कत्यूरी राजवंश का जब तक शासन था तब स्थापत्य कला से निर्मित कई ऐसे मन्दिर समूह बनाये गए है जो आज तक अपनी आभा को बिखरते दिखाई देते है।
कुमाउु के पर्वतीय जिलों की तरह रामनगर से बीस किलोमीटर दूर रामनगर-पाटकोट मार्ग में स्थित वन ग्राम चोपड़ा में बारहवीं सदी एक साथ कई मन्दिरो के समूह देखने को मि जाएंगे।
स्थानीय लोग इसे मन्दिरो के रूप में जानते है लेकिन पुरातत्व विभाग इन्हें वीरखम कहता है । जो भी हो पर यह ऐतिहासिक धरोहर न तो पर्यटन के क्षेत्र में अपनी पहचान बना पाई। मतलब साफ है कि ऐतिहासिक धरोहर उपेक्षा का दंश झेल रही है ।।
*एक साथ तेईस मन्दिरो का समूह*
चोपड़ा गांव में एक साथ तेईस मन्दिरों का समूह लोगो की जिज्ञासा का विषय बना हुआ है । वन गा्रम की बसासत से पहले से ही यह मन्दिर एकांत में होना अपने आप मे हर किसी की जिज्ञासा को बढ़ावा देता है । क्योंकि चोपड़ा गांव से पूर्व वहां केवल जंगल था। वहां मन्दिरो का समूह होना लोगों के लिए कोतुहल का विषय जरूर है ।
*मन्दिरो के आकार बहुत छोटे*
दिलचस्प पहलू यह है कि इस सभी मन्दिरो का आकार बहुत छोटा है । जिनकी लंबाई महज 1.97 मीटर से 1.15 मीटर तक है । इनके मध्य भाग में दो पंक्तियों का अभिलेख भी दर्ज है ।
*सल्ट क्षेत्र से आते थे कत्यूरो के वंशज*
चोपड़ा गांव के ध्यानी राम बताते है कि गांव के बुजुर्ग बताते है कि सल्ट क्षेत्र में कत्यूर राजाओं के वंशज पहले यहां आकर पूजा अर्चना किया करते थे। आज भी जागर ( देवताओं का आवाहन करने वाली पूजा) में आज भी मुंनगुर का उल्लेख कर इस क्षेत्र का नाम लिया जाता है।
सीतावनी से मात्र चार किलोमीटर दूर चोपड़ा गांव में मन्दिरो का यह समूह हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करता नजर आता है।
*2014 में पड़ी थी पुरातत्व विभाग की नजर*
चोपड़ा गांव में 2014 में पुरातत्व विभाग के पुरातत्व विभाग अल्मोड़ा के अधिकारियों ने इस क्षेत्र का निरीक्षण करने के बाद इसे 12वी सदी के वीरखम बताते हुए भारत सरकार को इन्हें संरक्षण में लेने का अनुरोध किया था। अल्मोड़ा पुरातत्व विभाग के क्षेत्रीय प्रभारी चन्द्र सिंह चैहान कहते है कि इन विरखमो के संरक्षण की कवायद शुरू की गई थी कर दिया ।
*ऐसे तो वीरान हो जाएगी ये ऐतिहासिक धरोहर*
भारत सरकार द्वारा संरक्षण ना किये जाने से चोपड़ा गांव के लोगों को गहरा झटका लगा है। अगर पुरातत्व विभाग इसे संरक्षित करता तो यह सीतावनी की तरह पर्यटन स्थल बनता और गांव में पर्यटन व्यवसाय के नए रोजगार के द्वार जरूर गा्रमीण युवको के लिए खुलते।
*कैसे पहुचे इन मन्दिरो तक*
रामनगर पाटकोट सड़क मार्ग के मध्य गेवा पानी तक 18 किमी छोटे वाहनों से पहुंचा जा सकता है। गेवा पानी से एक किलामीटर पैदल अथवा कच्चे मार्ग स्व सुगमता पूर्वक चोपड़ा गांव पहुंचा जा सकता है।
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