



उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन तीन दिन की हड़ताल पर चली गयी हैं। प्रदेशभर में जारी आंदोलन में आशा वर्कर सरकार के खिलाफ जमकर गरजीं।शुक्रवार को महिला अस्पताल हल्द्वानी में धरना-प्रदर्शन व पूर्ण कार्य बहिष्कार किया गया। इस अवसर पर यूनियन प्रदेश महामंत्री कैलाश पांडेय ने कहा कि आशाओं को मातृ-शिशु मृत्यु दर को कम करने के लिए नियुक्त किया गया था लेकिन उसके बाद आशाओं पर विभिन्न सर्वे और काम का बोझ लगातार बढ़ाया गया है। दिक्कत यह है कि काम तो आशाओं से लिया जाता है किंतु उसका भुगतान नहीं किया जाता। यानी आशाओं को सरकार ने मुफ्त का कार्यकर्ता समझ लिया है।
देय मासिक राशि और सभी मदों का बकाया सहित अद्यतन भुगतान, आशाओं के विविध भुगतानों में नीचले स्तर पर व्याप्त भ्रष्टाचार व कमीशनखोरी पर लगाम लगाने की मांग की। इन मांगों को लेकर तीन दिवसीय राष्ट्रीय हड़ताल में विभिन्न आशा यूनियनें संयुक्त रूप से पूरे राज्य में कार्यबहिष्कार व धरना-प्रदर्शन कर रही हैं। यूनियन ने चेतावनी दी कि यदि इन मांगों पर तत्काल कार्यवाही नहीं की गई तो हमें पूरे राज्य में अन्य आशा यूनियनों के साथ मिलकर उग्र अनिश्चिकालीन बहिष्कार व आंदोलनात्मक कार्यवाही को बाध्य होना पड़ेगा, जिसकी समस्त जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।