देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार बावर में दुल्हन के दूल्हे के यहां बरात लाने की अनूठी परंपरा है। स्थानीय भाषा में इसे ‘जोजोड़ा विवाह’ कहते हैं। जोजोड़ा विवाह की विशेषता यह है कि सुबह के वक्त दुल्हन बरात लेकर दूल्हे के घर पहुंचती है और शाम को 60-70 बरातियों की आमद होती है। इसके साथ ही शादी की रस्म पूरी की जाती हैं।
आपने अक्सर देखा होगा कई परिवार विवाह समारोह को भव्य बनाने में लाखों-करोड़ों की रकम पानी की तरह बहा देते हैं। उनके लिए उत्तराखंड का जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर एक नजीर देता दिखता है। यहां विवाह समारोह में दिखावे के नाम पर होने वाली फिजूलखर्ची को सामाजिक बुराई माना जाता है। यहां दहेज रहित शादी व फिजूलखर्ची रोकना संस्कृति का प्रमुख हिस्सा है। जौनसार-बावर के ज्यादातर ग्रामीण इलाकों में परंपरा के अनुसार दुल्हन बरात लेकर दूल्हे के घर पहुंचती है।
इसी परंपरा का निर्वाह करते हुए सहिया क्षेत्र के कनबुआ गांव के एक ही परिवार में तीन दुल्हनें बरात लेकर पहुंचीं। कनबुआ निवासी जालम सिंह पवार ने संयुक्त परिवार की परंपरा का निर्वाह करते हुए तीन पुत्रों देवेंद्र (धीरज), प्रदीप व संदीप का विवाह एक ही दिन करने का फैसला किया। इसकी तैयारियां पिछले कई माह से चल रही थीं।
रविवार को लखऊ खत के किस्तूड़ गांव से अमिता (मोनिका), बहलाड़ खत के क्वासा गांव से प्रिया (ममता) व समाल्टा खत के भाकरौऊ गांव से रक्षा जौनसारी बरात लेकर कनबुआ गांव पहुंची। चारों भाइयों जालम सिंह पंवार, सूरत सिंह पंवार, कल सिंह पंवार व खजान सिंह पंवार ने बरातियों का जोरदार स्वागत किया। विवाह समारोह में मेहमानों को तरह-तरह के पारपंरिक लजीज व्यंजन परोसे गए। इसी तरह की एक शादी मार्च 2018 में देखने को मिली थी जब तीन भाईयों ने एक साथ शादी के बंधन में बंधें थे।