



भाजपा ने चिकबलपुर विधानसभा सीट भी 34801 मतों से जीत ली है। भाजपा प्रत्याशी डॉ के सुधाकर ने कांग्रेस प्रत्याशी एम अनजानप्पा को हराया। अब तक भाजपा ने 15 विधानसभा सीटों में से 2 पर जीत दर्ज कर ली है जबकि 10 सीटों पर आगे चल रही है। वहीं कांग्रेस दो सीटों पर जबकि निर्दलीय प्रत्याशी एक सीट पर बढ़त बनाए हुए है।
चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने एक सीट पर जीत दर्ज कर ली है वहीं 11 सीटों पर वह आगे चल रही है। जबकि दो सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी बढ़त बनाए हुए है। वहीं जनता दल सेक्यूलर के उम्मीदवार सभी सीटों पर पीछे चल रहे हैं। येलापुर विधानसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी एएच शिवराम ने कांग्रेस प्रत्याशी भिमन्ना नाईक को 31408 मतों से पराजित कर दिया है।
कांग्रेस ने स्वीकारी हार
कर्नाटक उपचुनाव के नतीजों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि हमें इन 15 निर्वाचन क्षेत्रों के मतदाताओं के जनादेश से सहमत होना होगा। लोगों ने दलबदलुओं को स्वीकार कर लिया है। हमने भी हार स्वीकार कर ली है। उन्होंने कहा कि मुझे नहीं लगता कि हमें निराश होना पड़ेगा। चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार कर्नाटक उपचुनाव में 12 सीटों पर भारतीय जनता पार्टी जबकि दो सीटों पर कांग्रेस और एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी बढ़त बनाए हुए है। वहीं जनता दल सेक्यूलर के उम्मीदवार सभी सीटों पर पीछे चल रहे हैं। चुनाव आयोग के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार ताजा रुझानों में भारतीय जनता पार्टी 11, कांग्रेस 2, निर्दलीय 1 और जनता दल सेक्युलर 1 सीट पर बढ़त बनाए हुए है। शुरुआती रुझानों में भाजपा 12, कांग्रेस दो और निर्दलीय उम्मीदवार एक सीट पर आगे चल रहे हैं। वहीं एचडी कुमारस्वामी की पार्टी (जेडीएस) के उम्मीदवार सभी सीटों पर पीछे चल रहे हैं। येदियुरप्पा सरकार बनाए रखने के लिए भाजपा को छह सीटों पर जीत दर्ज करनी होगी। कर्नाटक में छह दिसंबर को 15 विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के लिए आज मतगणना हो रही है। राज्य के सभी मतगणना स्थलों पर कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह आठ बजे से मतों की गिनती शुरू हो गई है। दोपहर बाद सभी सीटों के परिणाम घोषित कर दिए जाएंगे।
महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार बनाने के बाद कांग्रेस की नजर अब कर्नाटक उपचुनाव पर है। कर्नाटक में कांग्रेस ने बीते रविवार को संकेत दिया था कि उपचुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा को बहुमत के लिए जरूरी सीटें नहीं मिल पाने की स्थिति में वह एक बार फिर जेडीएस के साथ हाथ मिला सकती है। कांग्रेस ने कहा था कि वह एक बार फिर जेडीएस के साथ हाथ मिलाने के विरूद्ध नहीं है। वहीं जेडीएस के नेता पहले ही ऐसे संकेत दे चुके हैं कि पार्टी ऐसी संभावना के लिए तैयार है।
क्यों आई उपचुनाव की नौबत
कांग्रेस और जेडीएस के 17 बागी विधायकों को अयोग्य घोषित किए जाने के बाद 15 सीटों पर उपचुनाव कराया गया। हाईकोर्ट में चल रहे मुकदमे की वजह से दो सीटों पर उपचुनाव नहीं कराया गया है। इन 15 सीटों में से 12 पर कांग्रेस और तीन जेडीएस के पास थीं। 224 सदस्यों वाली विधानसभा में 17 विधायकों के अयोग्य घोषित होने के बाद यह संख्या 207 पर आ गई थी और 29 जुलाई को बीएस येदियुरप्पा ने विश्वास मत हासिल कर लिया।