उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट में वन मंत्री हरक सिंह रावत ने शुक्रवार को माना कि राज्य में दो नदियों में अवैध खनन किए जाने के संबंध में पर्याप्त सबूत हैं और इन साक्ष्यों को देखने के बाद राज्य ने इस मामले में जांच के आदेश दे दिए। ये मामला कोटद्वार का है, जहां दो नदियों में खनन को लेकर वन विभाग के ही एक वरिष्ठ अधिकारी की मिलीभगत के आरोप भी लगे थे। अब रावत ने इस आरोपी अफसर के खिलाफ भी एक्शन लिया है।
हरक सिंह रावत ने शुक्रवार को मीडिया से बातचीत करते हुए कोटद्वार में मलान और सुखरो नदियों में अवैध खनन के आरोपों पर सरकार के सख्त रवैया इख्तियार करने का संकेत दिया। समाचार एजेंसी पीटीआई की खबर के मुताबिक रावत ने बताया कि इस मामले में एक डीएफओ यानी डिविजनल फॉरेस्ट अफसर के खिलाफ खनन में शामिल होने के आरोप हैं इसलिए उन्हें विभाग मुख्यालय अटैच किया गया है। रावत ने माना कि मानकों के खिलाफ जाकर चैनलाइजेशन के नाम पर नदियों में अवैध ढंग से खनन किया जा रहा है।
इस मामले में लैंसडाउन के डीएफओ दीपक सिंह पर आरोप लगे हैं और हरक सिंह रावत ने कहा कि सिंह लगातार आरोपों से इनकार कर रहे हैं, लेकिन शुरुआती जांच में उनके खिलाफ सबूत सामने आए हैं। रावत ने खुद नदियों का जायज़ा लेकर स्थिति जानने का दावा करते हुए कहा कि सिंह को अटैच कर जांच के आदेश दिए गए हैं। उन्होंने साफ कहा कि इस मामले में किसी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा।
विधानसभा चुनाव के समय में राज्य में अवैध खनन के मुद्दे को कांग्रेस ने दमदारी से उठाते हुए पिछले महीने कहा था कि जल्द ही पार्टी दस्तावेज़ों के साथ दूध का दूध पानी का पानी करेगी। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने कहा था, जिस तरह से पट्टे नियमों के खिलाफ जारी किए गए और अवैध खनन जैसे हो रहा है, उससे डर है कि उत्तराखंड में कोई नया मधु कोड़ा न बन जाए। उन्होंने एक हाईपावर कमेटी बनाकर अवैध खनन के आरोपों की जांच करवाए जाने की मांग भी सरकार से की थी।